धर्मशाला। आज परमपावन दलाई लामा को नोबेल शांति का प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की 30वीं वर्षगांठ पर 10 दिसंबर को दुनिया भर में तिब्बतियों ने धूमधाम से उत्सव के रूप में मनाया। दुनिया भर के तिब्बती उस दिन खुशी से झूम उठे थे, जब उन्हें यह खबर मिली थी कि उनके आध्यात्मिक धर्मगुरु परम पावन को यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इसके बाद से यह तारीख तिब्बती लोगों के लिए कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन बन गया।
धर्मशाला के त्सुग्लागखांग परिसर, जहाँ परम पावन का निवास स्थान है, में ठहाकों की गूंज के बीच तिब्बती लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के प्रमुखों और सम्मानित अतिथियों ने प्रमुख वक्ताओं के साथ दिन भर का उत्सव मनाया। इस दौरान परम पावन दलाई लामा का शांति और अहिंसा के संदेश का पाठ किया गया।
सम्मानित अतिथियों में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी-विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी पार्षद श्री ग्याल पी वांग्याल और उनके सहयोगी इंडो तिब्बतन फ्रेंडशिप एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अजय सिंह, कालोन और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।
मुख्य अतिथि ग्याल पी वांग्याल ने परम पावन द्वारा की गई मानवता की सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘परमपावन दलाई लामा ने न केवल इस ब्रह्मांड में मानवता को अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित और निर्देशित किया है, बल्कि तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के स्वरूप को भी बिल्कुल अहिंसक प्रयास में बदल दिया है।‘
मुख्य कार्यकारी पार्षद ने अपने संबोधन में कहा, ‘परम पावन का स्पर्श और आशीर्वाद हमें एक बेहतर जीवन की आशा के लिए बहुमूल्य प्रेरणा देता है। उनकी करुणामयी मुस्कान उस सौहार्द को जगमग कर देती है, जो सभी तरह के भय को शांत कर देती है।‘
मुख्य अतिथि ने कहा कि परम पावन ने बौद्ध धर्म के साथ विज्ञान को जोड़ने की जो पहल की है, वह वैश्विक शांति और प्रेम को आगे बढ़ाने में प्रेरणादायक है, जहां विनाशकारी भावनाओं से उत्पन्न संघर्ष और हिंसा को कम करने के लिए दोनों ज्ञान को जोड़ा जा सकता है।
परम पावन के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए श्री ग्याल पी वांग्याल ने तिब्बती लोगों के प्रति अटूट मित्रता और समर्थन का इजहार किया और लद्दाखियों से परम पावन के उपदेशों का पालन करने का अनुरोध किया। श्री ग्याल पी वांग्याल ने कहा ‘हम तिब्बत में मानव अधिकारों के व्यापक उल्लंघन से अवगत हैं। लद्दाख के लोगों ने हमेशा से इनकी निंदा की है और निंदा करते रहेंगे।‘
उन्होंने कहा, ‘लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि लद्दाख और तिब्बतियों के बीच संबंध और मजबूत होंगे क्योंकि हमने हमेशा लद्दाख में तिब्बतियों के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाकर रखा है। हमें उम्मीद है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में लद्दाख आने वाले वर्षों में तिब्बतियों की आकांक्षा को पूरा कर सकता है। हम आपको आश्वस्त करते हैं कि लद्दाख में तिब्बतियों का अच्छी तरह से ध्यान रखा जाएगा।‘
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष डॉ लोबसांग सांगेय ने अपनी श्रद्धांजलि में परम पावन की शांति और अहिंसा के संदेश की प्रासंगिकता को दोहराया।
डॉ सांगेय ने कहा, ‘परम पावन ने सभी मनुष्यों के बीच शांति और सद्भाव विकसित करने के लिए करुणा, सहिष्णुता और दयालुता के महत्व पर जोर देने का वचन दिया है।‘ धार्मिक सद्भाव के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने किसी भी संघर्ष को बातचीत के जरिए हल करने पर जोर दिया। यहां तक कि उत्पीड़न झेलते हुए भी परम पावन ने तिब्बत के मुद्दे को अहिंसक तरीके से हल करने के अपने अदम्य प्रयासों का उदाहरण दुनिया के समक्ष रखा है।
‘आज मानवाधिकार दिवस है और मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 71वीं वर्षगांठ भी है। हालांकि, आज तिब्बत में इस ऐतिहासिक दस्तावेज में निहित मौलिक मानवाधिकारों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा रौंदा जा रहा है।‘
तिब्बत के अंदर की भयावह स्थिति का वर्णन करते हुए राष्ट्रपति ने हाल ही में 24 वर्षीय योंटेन द्वारा किए गए आत्मदाह का उल्लेख किया, जिनकी मृत्यु 2009 के बाद से 154 तिब्बती आत्मदहन की घटनाओं में शामिल हो गई है।
चीन के दमनकारी उपायों की कड़ी निंदा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरी ओर तिब्बत का वैश्विक समर्थन मजबूत हो रहा है। चाहे वह परम पावन को उनके पुनर्जन्म के अधिकार का बचाव करना रहा हो या दलाई लामाओं के उत्तराधिकार के मामले में चीन के हस्तक्षेप पर अपील करना रहा हो।
उन्होंने कहा कि तिब्बती लोगों की आकांक्षा तिब्बतियों की तीसरी विशेष आम बैठक में पारित संकल्प-पत्र में स्पष्ट होती है। इसके साथ ही 14वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी एंबेसेडर एट लार्ज शमूएल डेल ब्राउनबैक द्वारा अक्तूबर 2019 में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन मुख्यालय की औपचारिक यात्रा के दौरान भी यह आकांक्षा व्यक्त की गई। राजदूत ने कहा था कि ‘अमेरिकी सरकार तिब्बती लोगों और दलाई लामा का समर्थन करती है और दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने की जिम्मेदारी और अधिकार केवल तिब्बती बौद्ध प्रणाली, दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध लामाओं की है। यह अधिकार किसी सरकार या किसी संस्था या किसी और को नहीं है।‘
परम पावन के प्रति तिब्बती लोगों की अगाध श्रद्धा प्रकट करने के लिए राष्ट्रपति सांगेय ने वर्ष 2020 को ‘थैंक यू दलाई लामा’ वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि इस पूरे ‘कृतज्ञता वर्ष’ के दौरान हम सभी को याद रखना चाहिए कि परम पावन की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए कार्य करना है। और एकजुट होकर हमें अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए।‘ हम कृतज्ञता वर्ष भर में विभिन्न प्रयासों के माध्यम से अपने प्रयासों को नवीनीकृत करेंगे।‘
इस अवसर पर निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष ने भी तिब्बती संसद की ओर से सभा को संबोधित किया।
आज से 30 साल पहले 10 दिसंबर 1989 को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर परमपावन दलाई लामा को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह अवसर सामान्य रूप से तिब्बती लोगों के लिए और विशेष रूप से दुनिया भर के उन सभी लोगों के लिए परम पावन के अतुलनीय कर्मों को खुशी, भक्ति और उत्साह से याद करने का समय है, जो लोकतंत्र, स्वतंत्रता, शांति और करुणा का पोषण करते हैं।
स्पीकर ने बुनियादी मानवीय मूल्यों, धार्मिक सद्भाव, मानवता की एकता को बढ़ावा देने में परम पावन के अद्वितीय योगदान की सराहना की और हिंसा के विरोध में उनके संपूर्ण समर्पण के बारे में लोगों को बताया।
स्पीकर ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, ‘यह उत्कृष्ट महत्व का दिन है और दुनिया भर में लोग परमपावन दलाई लामा के कार्यों के स्मरण के साथ इस उत्सव को मना रहे हैं। परम पावन का आभार व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि उद्देश्यों को पूरी ईमानदारी के साथ उनकी इच्छाओं और पूरा किया जाए।‘
विशिष्ट अतिथि इंडो तिब्बती फ्रेंडशिप एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अजय सिंह ने इन वर्षों में अपने संगठन और तिब्बती समुदाय के बीच मित्रता घनिष्ठ होने की चर्चा की।
श्री अजय सिंह ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में हमने सेमिनार, मेडिकल कैंप, स्कूलों में तिब्बत के मुद्दे पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं आदि कई आयोजनों के माध्यम से जागरूकता पैदा करने का काम किया है। यह केवल आपके उदार समर्थन और सहयोग के कारण संभव हो पाया है।‘
समारोह के इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि परम पावन को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के 30 साल पूरा होने के दिन को यादगार बनाने के लिए धर्मशाला में 24वां अंतरराष्ट्रीय हिमालयन महोत्सव आयोजित किया जा रहा है।
आईटीएफए के अध्यक्ष ने कहा, ‘हम विश्व शांति को बढ़ावा देने के अथक प्रयासों के लिए परम पावन के ऋणी हैं। इसलिए परम पावन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का आदर्श तरीका यही होगा कि हम उनके उपदेशों और वचनों का यत्नपूर्वक पालन करें।