tibet.net
ब्रसेल्स। यूरोपीय संसद के 32 सदस्यों ने यूरोपीय आयोग से आग्रह किया है कि वह चीन को बिना किसी शर्त के गेधुन चोएक्यी न्यिमा को रिहा करने के लिए कहे। यूरोपीय आयोग के विदेश मामलों के प्रमुख श्री जोसेफ बोरेल को दिए संयुक्त पत्र में यूरोपीय संसद के सदस्यों ने तिब्बत में चीन द्वारा लगातार किए जा रहे मानव अधिकारों के उल्लंघन की याद दिलाई है। इसमें कहा गया है कि पंचेन लामा को गायब कर देने की घटना से चीन के दमनकारी शासन की मिसाल सामने आ गई है।
इस अभियान का नेतृत्व यूरोपीय संसद में तिब्बत समर्थक समूह (टीआईजी) के अध्यक्ष एमईपी मिकुलस पेक्सा कर रहे हैं। ब्रसेल्स स्थित तिब्बत कार्यालय ने मई 1995 में पंचेन लामा के लापता होने की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर व्यापक रूप से वर्चुअल गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। कल उनका 31वां जन्मदिन भी है। कोविड-19 के कारण वैश्विक लॉकडाउन को देखते हुए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा दुनिया के हित में चलाया जा रहा यह अभियान अचंभित करता है। अगर कुछ हफ्तों के लिए किए गए लॉकडाउन से आज इतनी असहजता महसूस हो रही है तो 25 साल तक किसी युवा के गायब होने की बात को कोई कैसे नजरअंदाज कर सकता है!
यहां यह याद किया जा सकता है कि इसी महीने की शुरुआत में बेल्जियम की संघीय संसद के सदस्य श्री सैमुअल कोगलाटी ने भी एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया था। अपने 8 मार्च के बयान में उन्होंने बेल्जियम सरकार से अनुरोध किया कि वह चीन को बिना किसी शर्त के पंचेन लामा को रिहा करने के लिए कहे। उन्होंने बेल्जियम के विदेशमंत्री मिस्टर फिलिप गोफिन को भी पंचेन लामा के लापता किए जाने को लेकर बेल्जियम के नजरिए को बताने के लिए कहा।
हम पंचेन लामा के मुद्दे पर बेल्जियम के विदेशमंत्री और यूरोपीय आयोग के विदेश मामलों के उच्च प्रतिनिधि की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे।
हम पाठकों के लिए टीआईजी पत्र का पूरा पाठ और हस्ताक्षरकर्ताओं के नाम पुनरू पेश करना चाहेंगे।