धर्मशाला। तिब्बत के परंपरागत प्रांत अमदो के न्गाबा (चीनी- अबा) काउंटी के मेरुमा खानाबदोश टाउनशिप के नजदीक एक घुमंतू जनजाति समुदाय के युवक ने तिब्बत पर चीनी शासन और उसकी तिब्बत पर कठोर नीति का विरोध करते हुए मंगलवार 26 नवंबर को आत्मदाह कर लिया। युवक की मौत हो चुकी है।
24 साल के योंटेन ने 26 नवंबर 2019 को स्थानीय समय के अनुसार शाम 4 बजे मेरुमा के पास शहर के केंद्र में खुद को आग लगा ली। उनकी पहचान मेरुमा की यूनिट 2 के निवासी सोधोन (पिता) और त्सेखोई (मां) के पुत्र के रूप में की गई।
एक विश्वसनीय सूत्र के अनुसार, योंटेन छोटी उम्र में भिक्षु बन गए थे और न्गाबा के कीर्ति मठ में शामिल हो गये थे। लेकिन बाद में बिना कोई कारण बताए ही उसके वेश उतरवा दिए गए। हाल के वर्षों में ऐसी कई रिपोर्ट मिली हैं जिसमें तिब्बत में युवा तिब्बती भिक्षुओं को कम्युनिस्ट स्कूलों में शामिल होने के लिए चीनी अधिकारियों द्वारा मजबूर किया जा रहा है। अपना मठ छोड़ने के बाद से योंटेन क्षेत्र में खानाबदोश का जीवन व्यतीत कर रहे थे।
हमारे स्रोत के अनुसार, नबा कठोर निगरानी वाला तिब्बती क्षेत्र है जहाँ नियमित रूप से निगरानी की जाती है जहां के विरोध स्थल तक पुलिस कुछ कदमों या चंद मिनटों के भीतर पहुंच सकती है। वर्तमान में आत्मदाह की घटना के बाद इलाके में फोन और इंटरनेट जैसे संचार उपकरणों पर रोक लगी होने के कारण इस बात का ब्योरा नहीं मिल पाया है कि योंटेन का शव उनके माता-पिता को दिया गया है या नहीं।
वर्षों से चीन सरकार ने तिब्बती प्रदर्शनकारियों द्वारा आत्मदाह कर विरोध प्रदर्शन के तरीकों पर कठोर प्रहार की नीति अपना रखी है और इस तरह के प्रदर्शनकारियों को ‘आतंकवाद गतिविधि’ घोषित कर रखा है। इसके साथ ही आत्मदाह करनेवालों के परिवार के सदस्यों को अपराधी बताकर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है और कठोर सजा दी जाती है। योंटेन का आत्मदाह इस साल यानि 2019 की इस तरह की पहली घटना है।
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मानवाधिकार डेस्क/कान्यांग त्सेरिंग और लोबसंग येशी से प्राप्त सूचना के आधार पर जारी