हान मूल के चीनियों से प्रतिस्पर्धा और मंदारिन भाषा में दक्षता की अनिवार्यता तिब्बतियों के लिए नौकरियों को दुर्लभ बनाती है।
rfa.org / सांग्याल कुंचोकी: तिब्बती सूत्रों का कहना है कि तिब्बती विश्वविद्यालय के स्नातकों को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में काम पाने में मुश्किलें आ रही हैं। शहर में एक चीनी सरकारी कार्यालय द्वारा ऑनलाइन प्राप्त शिकायतों के अनुसार, हान चीनी नौकरियों के बाजार में बाढ़ आ गई है और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार को काफी हद तक तिब्बतियों की पहुंच से बाहर रखा गया है।
१८ नवंबर को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नागरिकों की प्रतिक्रिया आमंत्रित की गई थी। सरकारी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इसके बाद प्रतिक्रिया में आए २४६ में से लगभग एक तिहाई या ७० ईमेल का हवाला देते हुए बताया गया है कि तिब्बतियों के लिए बढ़ती अवसरों की कमी के कारण तिब्बती स्कूल छोड़ रहे हैं।
ल्हासा के तिब्बत विश्वविद्यालय के एक स्नातक ने आरएफए से बात करते हुए कहा कि तिब्बती स्नातकों के लिए और अधिक नौकरियां पैदा करने के अधिकारियों के वादे हाल के वर्षों में पूरे नहीं हुए हैं।
आरएफए के सूत्र ने कहा, ‘यह एक तथ्य है कि तिब्बती स्नातकों के लिए नौकरी खोजना बहुत कठिन रहा है। मैं भी नौकरी के बिना रह रहा हूं।’
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने २०१८ में वादा किया था कि वे विश्वविद्यालय के स्नातकों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा करेंगे, लेकिन अधिकांश पेशेवर नौकरियां अभी भी हान मूल के चीनी नागरिकों को दी जा रही हैं, इसलिए तिब्बती काम खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’
एक अन्य तिब्बती सूत्र ने आरएफए को भेजे एक ईमेल में कहा, ‘पूर्व में विश्वविद्यालयों से स्नातक होने वाले तिब्बतियों के लिए शिक्षकों या मामूली सरकारी पदों पर नौकरी के कुछ अवसर उपलब्ध थे।’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान हान मूल के अनेक चीनी नागरिक विकास परियोजनाओं में काम करने के नाम पर तिब्बत चले आए हैं और यहां की नौकरियों पर कब्जा जमा लिया है, जिसके कारण तिब्बती स्नातकों ने नौकरी पाने के अपने सभी अवसरों को खो दिया है। अगर उन्हें नौकरी मिल भी जाती है तो उन्हें केवल अनुबंध के तहत काम पर रखा जाता है और दिहाड़ी के आधार पर मजदूरी का भुगतान किया जाता है।’
भारत के धर्मशाला स्थित तिब्बत नीति संस्थान के एक शोधकर्ता कर्मा तेनज़िन ने आरएफए से बात करते हुए कहा कि जब तिब्बतियों को सरकारी पदों के लिए काम पर रखा जाता है, तब भी उन्हें अक्सर उनके प्रशिक्षण वाले क्षेत्रों से अलग के काम में या आमतौर पर स्कूलों में रखा जाता है।
तेनज़िन ने कहा, ‘इसलिए यह रेखांकित करता है कि तिब्बती लोग अपनी शिक्षा के स्तर पर भी कैसे भेदभाव का सामना कर रहे हैं।’
सूत्रों ने पहले की रिपोर्टों में आरएफए को बताया कि तिब्बती नौकरी के अधिकांश आवेदक हाई-टेक फर्मों और निर्माताओं सहित निजी कंपनियों में काम पाने में असमर्थ रहे हैं। ये क्षेत्र नौकरी चाहने वालों के लिए पहली पसंद हैं और सिविल क्षेत्र के रोजगार में अच्छा खासा वेतन पैकेज देते हैं।
सूत्रों का कहना है कि नौकरियों के लिए होनेवाली परीक्षाओं में और रोजगार में मंदारिन चीनी भाषा में प्रवीणता की अनिवार्यता ने तिब्बती छात्रों को नुकसान पहुंचाया है। उधर, चीन तिब्बती क्षेत्रों में चीनी संस्कृति और भाषा के प्रभुत्व को बढ़ावा देना चाहता है।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए तेनज़िन डिकी द्वारा अनुवादित। रिचर्ड फिने द्वारा अंग्रेजी में लिखित।