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फुंटसोकलिंग, ओडिशा। ओडिशा में तिब्बती बस्ती के सेटलमेंट अधिकारियों और स्थानीय तिब्बती विधायिकाओं में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए २५ से २९ जुलाई २०२२तक पांच दिवसीय कार्यशाला चल रही है। यह कार्यशाला फुंटसोकलिंग तिब्बती बस्ती, मैनपाट फेंडेलिंग तिब्बती बस्तीऔर बांदारा नोर्गीलिंग में आयोजित की गई है। कार्यशाला में ओडिशा तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के क्षेत्रीय सदस्यों के अलावा तिब्बती बस्ती के अधिकारी भी उपस्थित थे। निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा आयोजित कार्यशाला के लिए मुख्य वक्ता (रिसोर्स पर्सन) डिप्टी स्पीकर डोल्मा त्सेरिंग तेखांग और सांसद कर्मा गेलेक हैं।
कार्यशाला २५ जुलाई को एक संक्षिप्त उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुई, जिसमें निर्वासित तिब्बती संसद की डिप्टी स्पीकर डोल्मा त्सेरिंग तेखांग, सांसद कर्मा गेलेक, कार्यवाहक सेटलमेंट अधिकारी थुप्टेन, एलटीए के अध्यक्ष ताशी तेनज़िन, क्षेत्रीय तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के अध्यक्ष और प्रतिभागियों की उपस्थिति रही। कार्यशाला का उद्घाटन कार्यवाहक सेटलमेंट अधिकारी के स्वागत भाषण के साथ शुरू हुआ, इसके बाद सांसद कर्मा गेलेक, डिप्टी स्पीकर डोल्मा त्सेरिंग तेखांग और अन्य लोगों के भाषण हुए।
डिप्टी स्पीकर ने अपने संबोधन में प्रतिभागियों को तिब्बती संसदीय सचिवालय और उसके कामकाज के बारे में जानकारी दी। जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए स्थानीय तिब्बती संघों (एलटीए) को ठीक से काम करने की आवश्यकता पर बोलते हुए डिप्टी स्पीकर ने परम पावन दलाई लामा द्वारा तिब्बती लोगों को दिए गए लोकतंत्र के लाभों को दोहराया और साथ ही उपस्थित लोगों को उस जिम्मेदारी की याद दिलाई जो इस लोकतंत्र के साथ आती है।
सांसद कर्म गेलेक ने कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्य और इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्थानीय तिब्बती सभा का गठन परम पावन दलाई लामा के दृष्टिकोण के अनुसार किया गया था जो चार्टर में भी निहित है।
संक्षिप्त उद्घाटन समारोह के बाद कार्यशाला का पहला दिन डिप्टी स्पीकर के संबोधन के साथ आगे बढ़ा, जिसमें विधायिकाओं में संसदीय प्रक्रियाओं, जनादेशों और संरचनाओं को स्पष्ट किया गया।इसमें तारांकित प्रश्न उठाना, प्रस्ताव पारित करना, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करना और विधायी संशोधन प्रस्तावों को पेश करना शामिल है। उन्होंने प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए संदेहों को और स्पष्ट किया।
कार्यशाला के दूसरे दिन सांसद कर्मा गेलेक द्वारा निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर में निहित विभिन्न लेखा मुद्दों और बजटों से संबंधित नियमों और विनियमों का विवरण प्रदान किया गया। इन में आवर्ती बजट, विशेष आवर्ती बजट और सुरक्योल बजट के बारे में जानकारी दी गई। कार्यशाला का तीसरा दिन कार्यशाला के अंतिम दो दिनों में होने वाले मॉक सेशन की तैयारी को समर्पित रहा।
कार्यशाला में ३५प्रतिभागियों ने भाग लिया है और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की समझ के साथ अधिकतम लोगों को लाभान्वित करने के लिए कार्यशाला में एलटीए के सदस्यों के अलावा, क्षेत्रीय तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के सदस्यों और कुछ इच्छुक लोगों को भी शामिल होने की अनुमति दी गई है।