भेदभाव को तव्वजों देने से हमारे बीच रोड़े उत्पन्न होंगे। लिहाजा हमें किसी का अहित नहीं करना चाहिये। चाहे हम धार्मिक आस्था वाले हों अथवा नहीं, हम सब मनुष्य हैं।
दलाई लामा ने कहा कि मैं अपने आपको विशिष्ट प्राणी नहीं मानता। जब में विश्व में यात्रा करता हूँ और लोगों से मिलता हूं तो मैं सदा स्वयं को जीवित सात अरब इंसानों में से एक मानता हूं, और स्वयं को तिब्बती अथवा एक बौद्ध के रूप में, यहां तक कि दलाई लामा के रूप में तक नहीं सोचता।
मेरे कई मित्र हैं क्योंकि मैं सभी को समान भाव से, एक अन्य मनुष्य के रूप में देखता हूं। यदि मैं अपने आपको कुछ विशिष्ट अथवा दलाई लामा समझूं तो मेरे कोई मित्र नहीं होंगे।
दलाई लामा ने कहा कि इन दिनों विश्व में और अधिक बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं देखने में आ रही हैं। हम एक नकारात्मक व्यवहार अपनाकर इन समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। केवल पारस्परिक सहयोग करते हुए हम 21वीं सदी को सुख का एक युग बनाने में सक्षम होंगे।
धर्म दुनिया में संघर्ष का कारण बन गया
दलाई लामा ने कहा कि दुख की बात है कि धर्म दुनिया में संघर्ष का कारण बन गया है, उन्होंने कहा कि सभी धर्म प्रेम, करुणा, क्षमा और सहिष्णुता की शिक्षा देते हैं अत: उनके बीच संघर्ष का कोई आधार नहीं है। लिहाजा एक बौद्ध भिक्षु के रूप में मैंने कई वर्षों से धार्मिक सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। चूंकि अभ्यास में हममें इतना कुछ आम है, हमें एक दूसरे के साथ सम्मान का व्यवहार करना चाहिए।