कोर ग्रुप फ़ॉर तिब्बतन कॉज़ द्वारा आयोजित तिब्बत समर्थक समूहों का 8वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 3 से 5 नवंबर, 2019 तक ऐसे समय हुआ जब विश्व में बड़े राजनीतिक परिवर्तन देखे जा रहे हैं। ठीक इसी तरह की स्थितियों के बीच मार्च 1990 में धर्मशाला में इसी तरह का पहला सम्मेलन हुआ था। परिवर्तनों के ऐसे समय में अवसरों और चुनौतियों से निपटने के लिए यह सम्मेलन न केवल तिब्बत मुक्ति साधना के सुदृढीकरण के लिए बुलाया गया है, बल्कि इससे दुनिया के विभिन्न हिस्सों के 42 देशों के तिब्बत समर्थक समूहों के 180 प्रतिनिधियों और अन्य समर्थकों की भागीदारी का भी इसका सबूत मिल जाता है। यह तिब्बत और उसके लोगों की स्वतंत्रता के लिए उनके प्रयासों को तेज करने के उनके दृढ़ संकल्प को भी व्यक्त करता है।
प्रतिभागियों ने परमपावन दलाई लामा के साथ विस्तारित समय में मुलाकात की और उनकी चार प्रतिबद्धताओं-मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने, धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने, तिब्बती भाषा, संस्कृति और नालंदा बौद्ध विरासत के संरक्षण के साथ ही साथ तिब्बत के प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण और प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुत्थान पर उनकी व्याख्या से बहुत प्रोत्साहित हुए, जो भविष्य के प्रति उनकी परोपकारी दृष्टि को दर्शाता है।
प्रतिभागियों ने तिब्बती लोगों और संस्कृति के प्रति उनके दृढ़ विश्वास और गंभीरता के किए योगदानों का अनुमोदन किया जो मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान है। और इसलिए इस बात से आश्वस्त हुआ जा सकता है कि तिब्बती मुद्दे के लिए दिया गया समर्थन समग्र रूप से मानवता के लिए समर्थन है।
सम्मेलन को निर्वासित तिब्बती सरकार, जिसे केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) कहा जाता है, के सिक्योंग (राष्ट्रपति), निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष के अलावा तिब्बत से आए वक्ताओं, हांगकांग, पूर्वी तुर्किस्तान, दक्षिणी मंगोलिया और ताइवान के साथ-साथ भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अमेरिका के वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इन सभी वक्ताओं ने आशावाद की भावना को साझा किया और सम्मेलन की कार्यवाही सक्रिय रूप से भाग लिया।
सम्मेलन में भाग लेने वाले लोगों ने गहरी चिंता व्यक्त की कि तिब्बत पर चीनी कब्जे की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, लेकिन अभी भी कोई संकेत नहीं हैं कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की सरकार परमपावन दलाई लामा के प्रतिनिधियों या सीटीए के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ‘हम लगभग 70 साल पहले तिब्बत पर पीआरसी के अवैध आक्रमण और देश पर उसके कब्जे और तिब्बती लोगों के दमन के कारण हुए संघर्ष को सुलझाने के लिए चीन सरकार से बातचीत को फिर से शुरू करने का आग्रह करते हैं, यह बातचीत मध्य मार्ग दृष्टिकोण के आधार पर होगी और बिना देरी के इस वार्ता को शुरू करना चाहिए। हम संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों से चीन सरकार पर ऐसा करने के लिए दबाव डालने का आग्रह करते हैं। साथ ही, हम परमपावन दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की अहिंसा के प्रति उनकी निरंतर प्रतिबद्धता और पारस्परिक रूप से लाभकारी बातचीत के समाधान की मांग के लिए उनकी सराहना करते हैं। हम तिब्बत में रह रहे तिब्बती लोगों की चीन के दमन के प्रति उनके अहिंसक प्रतिरोध और उनकी राष्ट्रीय पहचान की रक्षा के प्रयासों में गहराई से जुड़े रहने के लिए उनके साहस को सलाम करते हैं।
हम कई सरकारों द्वारा उस पीआरसी के दमन के विरोध में खड़े होने के डर को भी समझते हैं, जो तिब्बत में और पूर्वी तुर्किस्तान (झिंजियांग) के साथ ही दक्षिणी मंगोलिया (आंतरिक मंगोलिया) में मौलिक मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के घोर और व्यवस्थित उल्लंघन कर रहा है और वर्तमान में हांगकांग में भी निरंतर विरोध के कारण कर रहा है। सच्चाई और न्याय के पक्ष में मजबूती से काम करने के बजाय, कई सरकारों और कॉरपोरेट शक्तियां ने अपने वाणिज्यिक लाभ के लिए लोकतंत्र के हमारे मूल मूल्यों, कानून के शासन, आत्मनिर्णय और मानव अधिकारों के साथ विश्वासघात किया है। इसी तरह वे उन मूल्यों और उन संस्थानों पर पीआरसी के हमलों को चुनौती देने में भी विफल रहे हैं जो हमारे ही देशों में सन्निहित होते हैं। हम अपने मूल्यों पर इस तरह के विश्वासघात और हमलों को बेनकाब करने के लिए दृढ़ हैं और ऐसा करने के लिए शक्तिशाली गठबंधनों और समझौतों को मजबूर करेंगे।
वैश्विक जलवायु परिवर्तन में तीसरे ध्रुव के रूप में तिब्बत के पठार, जो कि जलवायु संकट के सबसे अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहा है, की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, हम अपने समय के इस सबसे जरूरी मुद्दे को बहस में सम्मिलित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मन और मानव व्यवहार की समझ के लिए तिब्बती बौद्ध धर्म के अपार योगदान का प्रतीक, जिससे प्रेम, करुणा और मानव सुख के लिए आवश्यक अन्य गुणों की उत्पत्त िहुई है, और इस विद्वतापूर्ण कार्य और विशाल ज्ञान को समाहित करनेवाली तिब्बती भाषा और संस्कृति को संरक्षित करना बहुत जरूरी है।
अक्टूबर में धर्मशाला में तिब्बतियों की तीसरी विशेष बैठक के निर्णय का समर्थन करते हुए हम जोर देते हैं कि 14वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के बारे में सभी निर्णय लेने का विशिष्ट अधिकार परम पावन दलाई लामा और उनके गादेन फोडरंग ट्रस्ट का है। पीआरसी अधिकारियों द्वारा इस प्रक्रिया में कोई भी हस्तक्षेप और चीनी सरकार द्वारा दलाई लामा को चुनने या नियुक्त करने के किसी भी प्रयास में कोई वैधता नहीं होगी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा अस्वीकार की जानी चाहिए और पीआरसी इस चेष्टा की निंदा की जानी चाहिए।
तिब्बती स्वतंत्रता के लिए संघर्ष न्याय, सत्य और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष है। हम तब तक अपना काम जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं जब तक कि तिब्बती लोगों की संतुष्टि के साथ संघर्ष का समाधान नहीं हो जाता। जब तक तिब्बती लोग विदेशी कब्जे, पराधीनता और शोषण के अधीन हैं और इस कारण से आत्मनिर्णय के अपने अधिकार से वंचित हैं, तब तक स्वतंत्रता और न्याय के लिए तिब्बती संघर्ष स्वतंत्रता और न्याय के लिए हर किसी का संघर्ष है। इसी के साथ जिस तरह हम तिब्बत के लोगों के साथ एकजुटता जता रहे हैं, उसी तरह हम उन सभी के साथ एकजुटता व्यक्त करते हैं, जो पीआरसी की दमनकारी नीतियों से पीड़ित हैं। वास्तव में, जब तक दूसरे लोग अपनी स्वतंत्रता से वंचित किए जाते रहेंगे, तब तक कोई भी व्यक्ति सच्चे अर्थों में स्वतंत्र नहीं हो सकता, हर व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता से वंचित रहेगा।