दैनिक जागरण, 11 दिसम्बर 2012
कार्यालय संवाददाता, धर्मशाला : मानव अधिकार दिवस एवं परमपावन दलाईलामा को नोबल पुरस्कार मिलने की वर्षगांठ पर तिब्बती संगठनों एवं लोगों ने रैली निकाली। सोमवार को मैक्लोडगंज से धर्मशाला तक उन्होंने नारों एवं भाषणों से हक की आवाज उठाई। रैली में तिब्बत में आत्मदाह पर चिंता व्यक्त की गई। इसके लिए चीन सरकार की नीतियों पर रोष प्रकट किया गया।
नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ तिब्बत के अध्यक्ष गेलेक जामयांग ने कहा कि तिब्बत में आत्मदाह के मामलों को रोकना आसान काम नहीं है। तिब्बत के लोग अपने देश में रहकर भी जीवन नहीं जी रहे हैं। चीन सरकार का शोषण बढ़ा है और उससे तंग आकर ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चीन सरकार पर दबाव बनाना होगा। ऐसी स्थिति न होने पर लोग आजादी के लिए जीवन कुर्बान करते रहेंगे। गू चू सुम मूवमेंट ऑफ तिब्बत के उपाध्यक्ष लुकर जैम ने कहा कि 1989 में परमपावन दलाईलामा को शांति के लिए नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। 23 वर्ष का समय गुजरने के बाद भी वह अपनी गृहभूमि के लिए शांति और सुरक्षा की कामना कर रहे हैं।
इस मौके पर तिब्बत वूमेन एसोसिएशन, गु चू सुम मूवमेंट ऑफ तिब्बत, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ तिब्बत, रीजनल तिब्बत यूथ कांग्रेस, रीजनल तिब्बत वूमेन एसोसिएशन, स्टूडेंट फॉर ए पीस संगठनों के कार्यकर्ताओं सहित भारी संख्या में स्कूली बच्चे एवं लोग उपस्थित थे। इससे पूर्व मैक्लोडगंज के मुख्य बौद्ध मंदिर में परमपावन दलाई लामा के नोबल पुरस्कार की 23वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में तिब्बती संस्कृ ति के रंग बिखेरते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ। कार्यक्रम के दौरान तिब्बत की आजादी के लिए शहीद हुए तिब्बतियों की आत्मिक शांति के लिए एक हिंदू वैदिक धर्म के अनुसार शांति पाठ का आयोजन भी किया गया। इस कार्यक्रम में निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये सहित कई मंत्रियों व केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अधिकारियों ने उपस्थिति दर्ज की।