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तिब्बत / एक विश्वसनीय स्रोत ने बताया कि पांच महीने पहले खाम कर्ज़े के ड्रैकगो काउंटी में चीनी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए गए दो तिब्बती भिक्षुओं को तब से शेष दुनिया के संपर्क से काट कर रखा गया है।
ड्रेकगो में नेनांग मठ के तेनज़िन नोरबू और वांगचेन न्यिमा को १५ अगस्त २०२१ को गिरफ्तार किया गया था। हमारे स्रोत के अनुसार उन्हें वर्तमान में कर्ज़े (चीनी: गंजी) में तावू (चीनी: दाओफू) काउंटी जेल में रखा जा रहा है।
सूत्र ने कहा कि अधिकारियों ने दोनों भिक्षुओं की गिरफ्तारी और उनके परिवार के सदस्यों के आरोपों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। इस कारण से उनके जीवन और सुरक्षा को लेकर खतरे की आशंका उत्पन्न हो गई है। हालांकि उनकी गिरफ्तारी का कारण स्पष्ट नहीं है। संदेह है कि उनकी गिरफ्तारी का कारण मठ के स्थानीय तिब्बती बच्चों के लिए तिब्बती भाषा, संस्कृति और धर्म सिखाने वाली अनौपचारिक कक्षाओं के संचालन में उनकी भागीदारी हो सकता है। स्कूलों में तिब्बती भाषा के उपयोग को कम करने वाली चीन की शिक्षा नीति के कारण माता-पिता अपने बच्चों को स्थानीय मठों द्वारा आयोजित इन अनौपचारिक कक्षाओं में भेजते हैं। इस तरह की गतिविधियों के कारण भिक्षुओं पर चीनी अधिकारियों की अतिरिक्त निगरानी बढ़ा दी गई है। इस काम में लगे भिक्षुओं को निशाना बनाया जाता है और उन्हें निगरानी में रखा जाता है।
हमारे स्रोत ने बताया कि दो भिक्षु उन चीनी अधिकारियों के निशाने पर हैं और स्थानीय अधिकारी लंबे समय से उनकी निगरानी कर रहे हैं। वांगचेन न्यिमा तिब्बतियों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए एक प्रसिद्ध पैरोकार हैं। उन्हें इससे पहले २०१५ में गिरफ्तार किया गया था, जब चीनी सरकार ने उनके मठ के स्कूलों को जबरन बंद कर दिया था। उसी समय उनके भाई ओरग्यान चोएद्रक को भी गिरफ्तार किया गया था।
दोनों भिक्षु आपस में भाई हैं और नेनांग मठ के एक सम्मानित और श्रद्धेय मठाधीश टुल्कू चोएक्यी न्यिमा के भतीजे भी हैं। टुल्कु चोएक्यी न्यिमा खेंपो जिग्मे फुंटसोक के छात्र रहे हैं और एक सम्मानित न्यिंग्मा लामा हैं और सबसे बड़ी तिब्बती बौद्ध मठ अकादमी- लारुंग गार के संस्थापक हैं।
१८ अगस्त २०२१ की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, नेनांग मठ सभा हॉल में लगी आग में खेंपो थुबटेन और बुक्यो नाम के एक भिक्षु की मौत हो गई। तिब्बतियों का मानना है कि यह आग चीनी अधिकारियों द्वारा लगाई गई।
दिसंबर २०२१ से ड्रैकगो में रह रहे तिब्बती सांस्कृतिक क्रांति के दिनों की विध्वंसात्मक गतिविधियों की याद को फिर से अनुभव कर रहे हैं। इस समय बुद्ध की दो विशाल मूर्तियों, प्रार्थना-चक्रों और झंडे सहित पूजा की अन्य वस्तुओं को ध्वस्त कर दिया गया है। उन्हें आगे तिब्बती पहचान यानी भाषा, संस्कृति और धर्म को कमजोर करने वाले आधिकारिक फरमानों और नीतियों का पालन करने के लिए कहा जाता है। इस तरह के आदेशों का पालन करने में विफल रहने के परिणामस्वरूप तिब्बतियों की गिरफ्तारी हो रही है, उन्हें हिरासत में रखा जा रहा है, यातनाएं दी जा रही हैं और उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है। हाल ही में की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी तिब्बत के बाहर साझा करने के लिए कम से कम एक दर्जन तिब्बतियों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया।
ड्रेको डिमोलिशन और चीनी सरकार की कुक्कुट और सुअर पालन परियोजनाएं:
ड्रैकगो में चीनी सरकार के विध्वंस शृंखला के बाद २१-२२ दिसंबर के बीच ३० फीट के बुद्ध जम्पा गोंपो (मैत्रेय, भविष्य के बुद्ध) की प्रतिमा को नष्ट करने के साथ चीनी अधिकारी अब ड्रैकगो में गादेन नामग्याल लिंग में लामाओं और भिक्षुओं के क्वार्टर को ध्वस्त कर रहे हैं।
इसके अलावा सरकार कुक्कुट पालन और सुअर पालन परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है। अधिकारी तिब्बतियों को इसके लिए केंद्रों को बनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जबकि आदेशों का पालन नहीं करने पर स्थानीय लोगों को भारी आर्थिक दंड और जेल की सजा की धमकी दे रहे हैं। इसके अलावा, अधिकारी इस तरह के पोल्ट्री और सुअर पालन केंद्रों को उसी स्थान पर बनाने की योजना बना रहे हैं, जहां उन्होंने गाडेन नांगटेन स्कूल को तोड़ा था। ड्रैकगो मठ द्वारा संचालित इस स्कूल को पिछले अक्तूबर में ध्वस्त कर दिया गया था।
तिब्बतियों को ‘देशभक्ति शिक्षा’ और प्रशिक्षण की आवश्यकता के नाम पर मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में लिया जा रहा है। इन तरह के शिक्षण-प्रशिक्षण केंद्रों में उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की प्रशंसा करने और चीनी भाषा सीखने के लिए मजबूर किया जाता है। अधिकारी ‘चेहरे पर अनुचित अभिव्यक्ति’ दिखाने और प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेने से इनकार करने जैसी छोटी-छोटी बातों के लिए भी तिब्बतियों को गंभीर रूप से दंडित कर रहे हैं।
हमारे स्रोत ने बताया कि, ‘उन देशभक्ति शिक्षण-प्रशिक्षण में भाग लेने और ड्रैकगो में चीनी अधिकारियों के हाथों गंभीर मार झेलने की निरंतर परीक्षा नवंबर २०२१ की शुरुआत से ही हो रही है।’ पिटाई इतनी दर्दनाक तरह से हुई कि कई तिब्बती कथित तौर पर होश खो बैठे हैं जबकि एक भिक्षु की आंखों में गंभीर चोट आई है।