tibet.net, २६ जुलाई, २०२१
मेरठ, २४ जुलाई। दिवंगत श्री कुलभूषण बख्शी तिब्बती मुद्दे के प्रबल समर्थकों में से एक थे। उनके जैसे निस्वार्थ व्यक्तियों द्वारा प्रदान किए गए निरंतर समर्थन और सहायता के कारण तिब्बत के स्वतंत्रता संग्राम की लौ जीवित है। तिब्बत के लिए उनका योगदान बहुत बड़ा और विशाल है। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के मेरठ में ‘अंतरराष्ट्रीय भारत-तिब्बत सहयोग समिति (एबीटीएसएस)’ नाम से एक तिब्बत समर्थक समूह का गठन १९९६ में किया गया था। उन्होंने अपने अंतिम दिनों तक एबीटीएसएस, मेरठ के अध्यक्ष के रूप में तिब्बती मुद्दों के लिए जागरुकता पैदा किया और तिब्बत मुक्ति साधना को लेकर भारतीय जनता को जागरूक किया। स्वर्गीय श्री बख्शी भारत में तिब्बत समर्थक समूहों के शीर्ष निकाय- कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के सक्रिय राष्ट्रीय सह-संयोजक भी थे। तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अहिंसक संघर्ष का सहारा लेना और संघर्ष के दौरान गांधीवादी दर्शन का पालन करना जीवन के अंत तक उनकी मूल कुंजी थी। श्री कुलभूषण बख्शी ने तिब्बत मुक्ति साधना में लगभग दो दशकों से अधिक समय तक बहुत सक्रिय भूमिका निभाई।
स्वर्गीय श्री कुलभूषण बख्शी को उनकी जयंती पर याद करने, मेरठ क्षेत्र में तिब्बत समर्थक समूहों के साथ फिर से जुड़ने और तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूती प्रदान करने के लिए आईटीसीओ के समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम और स्टाफ तेनज़िन जॉर्डन के साथ कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़- इंडिया के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री सुरेंद्र कुमार मेरठ में स्वर्गीय श्री कुलभूषण बख्शी की जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत स्वर्गीय श्री कुलभूषण बख्शी के चित्र पर दीप जलाकर हुई। स्वर्गीय श्री कुलभूषण बख्शी के पुत्र और वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के क्षेत्रीय संयोजक श्री रवि बख्शी ने इस अवसर पर एक साथ आने वाले सभी सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने सदस्यों को इस महामारी के समय में अब तक की गई गतिविधियों और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी और तिब्बती आंदोलन के संबंध में भविष्य के कार्यक्रमों के बारे में भी बताया।
आईटीसीओ-समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम ने स्वर्गीय श्री कुलभूषण बख्शी के साथ अपने अनुभव को याद किया और सदस्यों को महामारी के समय में अब तक आईटीसीओ और विभिन्न तिब्बत समर्थक समूहों द्वारा आयोजित वेबिनार और कार्यक्रमों के बारे में बताया। श्री सुरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि तिब्बत समर्थक समूहों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस आंदोलन को कैसे मजबूत किया जाए और कौन से नए उपाय तिब्बत आंदोलन को मजबूत और व्यापक बनाने में मददगार हो सकते हैं। उन्होंने सदस्यों से परम पावन १४वें दलाई को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ प्रदान करने और परम पावन को भारतीय संसद में आमंत्रित करने के लिए समर्थन जुटाने का भी अनुरोध किया।
एबीटीएसएस मेरठ के अध्यक्ष डॉ. डी.के. पाल ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि तिब्बती आंदोलन को आगे बढ़ाने और भारत में तिब्बत के महत्व के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए भारतीय युवाओं के साथ जुड़ाव जरूरी है और इस प्रकार, सदस्यों को स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत है।
अन्य वक्ताओं में श्री मेरठ के पूर्व विधायक रणवीर राणा, अधिवक्ता श्री मुकेश गुप्ता, एबीटीएसएस के कोषाध्यक्ष श्री गौरव अग्रवाल, श्री हर्षद गोयल, श्री रवि बख्शी की पत्नी श्रीमती सुनंदा बख्शी, लेफ्टिनेंट बख्शी की पोती सुश्री दिशा बख्शी, नेरू अग्रवाल, श्री सुदेश कुमार, श्रीमती माशेवता, अधिवक्ता श्रीमती संगीता एवं अन्य थे।