दैनिक जागरण, 16 अप्रैल 2013
परम पावन दलार्इ लामा को संसद में मान-सम्मान दिया जाना चाहिए।
भारत सरकार का उनकी आध्यातिमक व पावन छवि के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
भगवान बुद्ध के कहे अनुसार जीवन वही परिपूर्ण है जिसे अलग से संदेश देने की जरूरत न पड़े।
परम पावन दलार्इ लामा इसी विचार धारा के उज्जवल प्रतीक हैं, वे भारतीयता के छवि में भारत के लोगों के साथ हैं जो यह सुनिशिचत करता है कि वह भारत रत्न के सर्वोच्च हकदार हैं।
इस संदर्भ में भारत सरकार को विचार करना चाहिए।