नोरथेन व्यस्से आँलाईन्स, 7 जुलाई 2011
ज्वालामुखी: तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा बुधवार को 76 साल के हो गए। उनके जन्मदिन के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में गत दिवस सुबह से ही उनकी दीर्घायु व अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो गया। इस अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा यहां मौजूद नहीं हैं। वह वाशिंगटन में आयोजित एक विशेष समारोह में हिस्सा लेंगे। दलाई लामा के जन्मदिन समारोहों में हिस्सा लेने के लिए उनके मैक्लॉडगंज स्थित आधिकारिक आवास के नजदीक स्थित क्षुगलगखांग मंदिर में सुबह से ही बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठी होने लगी थी। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया, क्षुगलगखांग मंदिर में विशेष प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो गया है और ये प्रार्थनाएं दिनभर जारी रहेंगी। उन्होंने बताया, दलाई लामा वाशिंगटन में अपने अनुयायियों को आशीर्वाद देंगे।एक वक्तव्य जारी कर कहा गया है कि तिब्बती मंत्रिमंडल कशाग ने मानव दुखों को दूर करने में उसका साथ देने व इतने लम्बे समय तक उसका मार्गदर्शन करने के लिए दलाई लामा के प्रति आभार व्यक्त किया है। वक्तव्य में कहा गया है, इस खास अवसर पर मंत्रिमंडल कशाग दलाई लामा को धन्यवाद देना चाहेगा और तिब्बती राज व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण व चुने हुए तिब्बती नेतृत्व को अपनी सारी शक्तियां देने के उनके दूरदर्शी कदम को याद करना चाहेगा। निर्वाचित तिब्बती नेतृत्व तिब्बत के भीतर व बाहर रहने वाले 60 लाख तिब्बतियों का प्रतिनिधित्व करेगा। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) व तिब्बती समुदाय ने दलाई लामा के जन्मदिन के अवसर पर प्रार्थनाओं का आयोजन किया। समारोह में बड़ी संख्या में विदेशी लोग व दलाई लामा के शुभचिंतक इकटठे हुए। दलाई लामा का जन्म छह जुलाई, 1935 को पूर्वोत्तर तिब्बत के तक्तेसर टोले में हुआ था। उन्हें मात्र दो साल की उम्र में 13वें दलाई लामा थुबटेन ज्ञायात्सो का अवतार बताया गया था। वह 1959 में चीनी शासन के खिलाफ असफल आंदोलन के बाद भारत आ गए थे। उनकी निर्वासित तिब्बती सरकार को कभी भी किसी देश की मान्यता हासिल नहीं हो सकी।उन्हें लोकतंत्र के लिए उनके अहिंसक आंदोलन व अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष के लिए 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। भारत में करीब 100,000 तिब्बती रह रहे हैं।