धर्मशाला. तिब्बत की राजनीति में नई शख्सियत के रूप में निर्वाचित डॉ. लोबसंग सांगये अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून विशेषज्ञ होने के साथ-साथ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भी मित्रों की सूची में हैं। ऐसे में वे तिब्बत समस्या का दलाईलामा की मध्यमार्गी नीति के तहत ही शांतिपूर्वक हल निकालेंगे।
लोबसंग कह चुके हैं कि महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला का अहिंसा मार्ग ही उनकी नीति का आधार रहेगा। 30 देशों में निर्वासित जीवन काट रहे तिब्बतियों को निर्वाचन के बाद भेजे प्रथम संदेश में उन्होंने धन्यवाद करते हुए अपने पर दर्शाए विश्वास और प्रधानमंत्री पद के दायित्व को स्वीकार किया है।
उनका पहला काम तिब्बती समुदाय लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि वर्तमान प्रधानमंत्री की ओर से लोकतंत्र के लिए किए गए कार्य के चलते ही भारी संख्या में निर्वासित तिब्बतियों ने मतदान में हिस्सा लेकर आदर्श स्थापित किया है।’
उन्होंने तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों को विश्वस्त किया कि वर्तमान में तिब्बत की विकटतम परिस्थितियों में जिस तरह वे जीवन बसर कर रहे हैं, वह उसके लिए सदैव संघर्षरत रहेंगे। उन्होंने विश्व समुदाय और अपने मित्रों से आह्वान किया कि वह तिब्बत आजादी आंदोलन में उनका सहयोग करें जिससे तिब्बती अपने मूल वतन लौट सकें और दलाईलामा अपने राजमहल पोटाला में पहुंच सकें।
लोबसंग सांगये को तिब्बती युवा वर्ग का भारी समर्थन प्राप्त हुआ है वहीं तिब्बती युवा वर्ग सहित तिब्बती समुदाय लोबसंग के निर्वाचन से उत्साहित है। लोबसंग सांगये के सोशल नेटवर्किग के कैंपेन मैनेजर लोबसंग बंगयाल ने बताया कि 21वीं सदी में यह युवाओं की जीत है। उन्होंने लोबसंग के निर्वाचन से पिछले लंबे अरसे से चीन के शीर्षस्थ नेतृत्व से तिब्बती केंद्रीय प्रशासन से वार्तालाप में आए गतिरोध को समाप्त कर पुन: वार्ताओं का दौर शुरू होने की आशा जताई है।