धर्मशाला। 08 अप्रैल 2025 की दोपहर तिब्बती लामा भिक्षु तुलकू हंगकर दोरजे की संदेहास्पद मौत की जानकारी मिलने पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग ने लखपा शेरिंग हॉल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इसमें अमन्ये माचेन इंस्टीट्यूट के निदेशक जू तेनक्योंग और धोमाय चोलखा एसोसिएशन के सांगशोल देसल को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य वक्ता सीटीए के प्रवक्ता और अतिरिक्त सचिव तेनजिन लेक्षय थे। उन्होंने दोनों वक्ताओं का परिचय कराया और तत्काल अति आवश्यक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने का कारण बताते हुए एक संक्षिप्त अपडेट नोट दिया। दोनों वक्ताओं और प्रवक्ता तेनजिन लेक्षय ने भिक्षु तुलकू हंगकर दोरजे की मौत में चीनी सरकार की भूमिका की कड़ी निंदा की और इस मौत की जवाबदेही तय करने और मामले में हस्तक्षेप करने का आह्वान किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वक्ताओं ने तुलकु हंगकर दोरजे की संदिग्ध मौत की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच कराने, समुचित बौद्ध परंपरा के अनुसार उनके अंतिम संस्कार के अनुष्ठानों के लिए उनके पार्थिव शरीर को तत्काल लुंगनोन मठ में सौंपने तथा हिरासत में रखने के दौरान संदेहास्पद मौत के लिए वियतनामी और चीनी दोनों प्राधिकारों से उनके अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की।
प्रेस विज्ञप्ति
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन शोक और सदमे के साथ वियतनाम में चीनी अधिकारियों की हिरासत में प्रमुख तिब्बती लामा भिक्षु तुलकु हंगकर दोरजे की अचानक और संदेहास्पद मौत की घोषणा करता है। हंगकर रिनपोछे तिब्बत में चीनी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न किए जाने की आशंका के कारण सितंबर 2024 के अंत से वियतनाम में छिपकर रह रहे थे। 25 मार्च 2025 को उन्हें स्थानीय पुलिस और चीनी गुप्त एजेंटों के एक संयुक्त ऑपरेशन में वियतनाम के साइगॉन स्थित होटल के कमरे से गिरफ्तार किया गया था, जहां वे छुपकर रह रहे थे। बाद में उन्हें 28 मार्च को स्थानीय सार्वजनिक सुरक्षा कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसी दिन उनकी संदिग्ध रूप से मृत्यु हो गई। इससे सीमा पार सुरक्षा सहयोग, अंतरराष्ट्रीय दमन और मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा हुईं हैं। इनकी तत्काल और गहन जांच किए जाने की जरूरत है। साथ ही वियतनामी और चीनी दोनों देशों के संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
01 अप्रैल को तिब्बत में लुंगनोन मठ के प्रशासनिक कार्यालय ने दिवंगत भिक्षु के रिश्तेदारों को भिक्षु तुलकु हंगकर का मृत्यु प्रमाण-पत्र देने के लिए बुलाया, लेकिन उन्होंने वहां रिश्तेदारों को दस्तावेज़ रखने या तस्वीरें लेने से मना कर दिया। हंगकर रिनपोछे इसी मठ में रहते थे। 05 अप्रैल को मठ के पांच भिक्षु चीनी सरकारी अधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ उनका पार्थिव शरीर लेने के लिए वियतनाम गए। उसी दिन वियतनाम में चीनी दूतावास में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें चीनी अधिकारियों ने भाग लिया। जबकि मठ के पांच तिब्बती भिक्षुओं को बैठक में जाने की अनुमति नहीं दी गई। यह स्पष्ट नहीं है कि मठ के प्रतिनिधि भिक्षु के पार्थिव शरीर को देख पाए या उसे मठ में वापस ले गए। वर्तमान सूचना के अनुसार भिक्षु का पार्थिव शरीर कथित तौर पर हो ची मिन्ह सिटी के विनमेक सेंट्रल पार्क इंटरनेशनल अस्पताल में रखा गया है।
1969 में तिब्बत के आमदो प्रांत में जन्मे तुलकु हंगकर दोरजे विख्यात तिब्बती आध्यात्मिक लामा थे। उनका जीवन शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से तिब्बती पहचान को संरक्षित करने के लिए अटूट समर्पण का प्रतीक था। उन्हें पहले दिवंगत हुए दो ख्येनसे येशे दोरजे के नए अवतार के रूप में पहचाना गया था। रिनपोछे ने 1,000 से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले ट्यूशन फी-मुक्त हंगकर दोरजे वोकेशनल टेक्निकल हाईस्कूल की स्थापना की। उन्होंने वंचित समुदायों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए हंगकर कम्पैशन मेडिकल क्लिनिक की स्थापना की और साहित्यिक खजाने की सुरक्षा के लिए उत्कृष्ट प्रवचन कुंजी पुस्तकालय बनाया। उनके परोपकारी कार्यों में हज़ारों बुज़ुर्गों, ग़रीबों और बीमार तिब्बतियों को वित्तीय सहायता, भोजन, कपड़े और दवाएं प्रदान करना शामिल था। उन्होंने एक शिक्षक के तौर पर कई देशों में अपने शिक्षण कार्यक्रमों के दौरान तिब्बती भाषा, बौद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को संरक्षित करने की महत्ता पर लगातार ज़ोर दिया। भिक्षु हंगकर 20 से अधिक पुस्तकों के लेखक के रूप में भी विख्यात थे। पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक कल्याण और नैतिक शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान ने तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही, उन्होंने आधुनिक विश्व में तिब्बती पहचान को बचाने के लिए आवश्यक सम्पूर्ण सांस्कृतिक पारिस्थितिकीय तंत्र को संरक्षित करने में अपने समग्र दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया। अपने इन्हीं प्रयासों के कारण ही दुर्भाग्यवश उन्हें 12 दिन पूर्व अपनी विवादास्पद मृत्यु से पहले राजनीतिक उत्पीड़न का लक्ष्य भी बनना पड़ा था।
पिछले साल चीनी सरकार ने हंगकर रिनपोछे को उनके मठ में चीन द्वारा नियुक्त पंचेन लामा ग्यालत्सेन नोरबू की मेजबानी करने के लिए मजबूर किया। हालांकि इस आदेश का उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी की इच्छा के अनुसार पूरे दिल से पालन नहीं किया। अगस्त 2024 में किंगहाई प्रांत के उच्च पदस्थ चीनी अधिकारियों ने उनसे लंबी और गहन पूछताछ की और उन्हें उंगलियों के निशान देने के लिए मजबूर किया। उन पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने परम पावन दलाई लामा के लिए दीर्घायु प्रार्थना की रचना की थी और गोलोग, अमदो में अपने शैक्षिक कार्य में चीनी सरकार की नीतियों को लागू करने में विफल रहे थे। इन घटनाओं ने सितंबर 2024 के अंत में उनके लापता होने के बाद वियतनाम में छिपने को मजबूर किया था।
यहां पर यह उल्लेखनीय है कि भिक्षु तुलकु हंगकर दोरजे की संदेहास्पद मौत तिब्बती संस्कृति, भाषा और पहचान को बढ़ावा देने वाले प्रभावशाली तिब्बती हस्तियों को चीन द्वारा व्यवस्थित रूप से निशाना बनाने की नीति को उजागर करती है। यह एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुलकु हंगकर रिनपोछे की अचानक और रहस्यमयी मौत की निंदा करने और उनकी हिरासत और मौत की परिस्थितियों के बारे में चीन और वियतनाम के अधिकारियों से पारदर्शी तरीके जांच कराने की मांग करता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि तुलकु हंगकर दोरजे के शव को संबंधित अधिकारियों द्वारा तुरंत लुंगनोन मठ को सौंप दिया जाना चाहिए, ताकि तिब्बती परंपरा के अनुसार उचित अंतिम संस्कार किया जा सके। यह मामला तिब्बती लोगों के मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता के लिए जवाबदेही और सम्मान की आवश्यकता को और अधिक रेखांकित करता है। हम रिनपोछे के परिवार, दोस्तों और शिष्यों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और उनके साथ एकजुटता में खड़े हैं।
हम हैं
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, भारत