तिब्बत.नेट, 27 मई 2019
तिब्बत की हालिया यात्रा के दौरान अमेरिकी राजदूत टेरी ब्रैनस्टैड ने तिब्बत की स्थिति के बारे में अपनी चिंता का इजहार किया। चीनी विदेश मंत्रालय ने उन्हें तिब्बत की यात्रा के लिए आमंत्रित किया था ताकि वह वहां यह देख सकें कि चीन ने कथित ‘तिब्बत की मुक्ति के बाद से आमूलचूल परिवर्तन’ के तौर पर वहां क्या क्या काम किया है। अमेरिकी राजदूत ने बौद्ध धर्म की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए बातचीत में शामिल होने के लिए चीनी अधिकारियों को आमंत्रित किया।
नीचे का लेख द जापान न्यूज में प्रकाशित किया गया था।
अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को बताया कि पिछले सप्ताह इस हिमालयी क्षेत्र का दौरा करने गए चीन में अमेरिकी राजदूत ने बीजिंग से आग्रह किया कि वह निर्वासित तिब्बती बौद्ध नेता दलाई लामा के साथ बातचीत में शामिल हों।
दूतावास के एक बयान में कहा गया है कि टेरी ब्रांस्टेड ने ‘तिब्बती बौद्धों की स्वतंत्रता और उनके धर्म का पालन करनेकी स्वतंत्रता में चीनी सरकार के हस्तक्षेप के बारे में भी चिंता व्यक्त की।‘
दूतावास ने बयान में कहा, ‘उन्होंने मतभेदों को हल करने के लिए चीनी सरकार को दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया।’
ब्रैनस्टैड ने तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में लंबे समय से लगातार आवागमन की कमी के बारे में चिंता जताई। टीएआर और पड़ोसी क्विंघाई प्रांत की उनकी दुर्लभ यात्रा रविवार से शनिवार तक चली थी।
दूतावास ने कहा कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र सरकार द्वारा मेजबानी किए गए ब्रांस्टेड को महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों तक ले जाया गया, जिसमें पोटाला पैलेस, जोखांग मंदिर, नोरबुलिंगका और तिब्बत की राजधानी ल्हासा में सेरा मठ शामिल हैं। उन्होंने वरिष्ठ तिब्बती धार्मिक और सांस्कृतिक नेताओं से भी मुलाकात की।
चीन ने विदेशियों, विशेष रूप से पत्रकारों और राजनयिकों को तिब्बत में जाने पर कड़ाई से प्रतिबंध लगा रखा है। उन प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया में अमेरिकी कांग्रेस ने पिछले साल एक कानून पारित किया, जिसके तहत प्रावधान है कि जो चीनी अधिकारी ऐसी नीतियों को तैयार करने या लागू करने में शामिल होंगे, उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
बीजिंग की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि चीन ने ब्रानस्टैड के दौरे का एक गवाह के तौर पर स्वागत किया है जो यह देख्ा गए हैं कि ‘तिब्बत के शांतिपूर्ण मुक्ति के 60 साल से अधिक समय बाद से लोगों के उत्पादन और जीवन में किस तरह से आमूलचूल बदलाव आया है।‘
लू ने नियमित रूप से होनेवाले प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि तिब्बत की इस यात्रा से राजदूत ब्रैनस्टैड बिना किसी पूर्वाग्रह के और लंबे समय से चली आ रही सुनी- सुनाई और मानहानिजनक बातों से भ्रमित हुए बिना तथ्यों का सम्मान करेंगे और उसी भावना से निष्कर्ष निकालने में मदद कर सकते हैं।‘