आजतक, 5 अगस्त 2013
चीन लगातार भारत के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है और अब वो तिब्बत में सबसे ऊंचे हवाईअड्डे का निर्माण कर रहा है. हालांकि यह असैन्य हवाईअड्डा है लेकिन जिस तरह चीन तिब्बत में हवाईअड्डों के साथ ही रेल व सड़कों का तेजी से विकास कर रहा है यह भारत के लिए चिंता का सबब है क्योंकि चीन को इन ढांचागत सुविधाओं के माध्यम से अपनी सेना को भारत के नजदीक तैनात करने में मदद मिलेगी.
चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं के विकास की योजना के तहत विश्व के सबसे ऊंचे स्थान पर असैन्य हवाईअड्डा का निर्माण कर रहा है जो तिब्बत के नजदीक है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, 4,411 मीटर की ऊंचाई पर गार्जी तिब्बती स्वायत्त सूबे में निर्माणाधीन दाओचेंग यादिंग एयरपोर्ट सिचुआन प्रांत में आता है.
यह हवाईअड्डा दक्षिणपश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में क्वामदो सूबे में स्थित बांगदा एयरपोर्ट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित होगा. बांगदा एयरपोर्ट समुद्री सतह से 4,334 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. चीन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में अभी तक पांच हवाईअड्डों का निर्माण कर चुका है जो गोंगर, ल्हासा, बांगदा, झिगेज और नगारी में स्थित हैं.