ब्रुसेल्स। तिब्बत समर्थक समूहों का तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन २५ फरवरी २०२४ को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सम्मेलन को ब्रुसेल्स स्थित तिब्बत कार्यालय और सीटीए के सूचना और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग द्वारा पूरा सहयोग दिया गया था।
समापन समारोह में निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल, सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के कालोन नोरज़िन डोल्मा और फ्रेंच पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत के अध्यक्ष सीनेटर यूस्टाचे-ब्रिनियो ने अपनी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण को व्यक्त करते हुए भाषण दिया। समारोह के संचालक के रूप में सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के अतिरिक्त सचिव तेनज़िन लेक्षय ने समापन सत्र की अध्यक्षता की।
स्पीकर खेनपो सोनम तेनफेल ने अपने मुख्य भाषण में इस बात पर जोर दिया कि तिब्बत से संबंधित मुद्दों को राजनीति से अधिक गहरे स्तर पर संबोधित करने की आवश्यकता है क्योंकि वह करुणा और अहिंसा पर आधारित तिब्बती संस्कृति के अस्तित्व और विरासत को प्रभावित करते हैं।
उन्होंने तिब्बती संघर्ष की दिशा को निर्धारित करने में तिब्बती पक्षकारों और समर्थक समूहों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिकाओं को भी रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि तिब्बत का इतिहास बहुत महत्व रखता है और वहां समर्थक समूहों के निस्वार्थ समर्पण को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। तिब्बत को अब पहले से कहीं अधिक समर्थन की आवश्यकता है। इसके लिए महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तिब्बत-चीन संघर्ष को पीआरसी द्वारा परिभाषित चीन के आंतरिक मामले के बजाय एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दे के रूप में देखे।
उन्होंने आगे मांग की कि नीति निर्माता और उसे लागू करनेवाले अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें और किसी भी तरह से तिब्बत पर चीन की संप्रभुता के दावों का समर्थन या स्वीकार करने से बचें। स्पीकर ने कहा, ‘निर्वासित तिब्बती संसद के पास विधायी निकाय के नियमित संचालन के अलावा सरकारी पक्षधरता अभियानों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय और भारतीय संसद सदस्यों और भारत में आम जनता तक पहुंचने की योजना भी हैं’।
अध्यक्ष ने यह कहते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि निर्वासित तिब्बती संसद जापान की राजधानी टोक्यो में तिब्बत पर नौवें विश्व संसदीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नौवें अंतरराष्ट्रीय तिब्बत समर्थक समूह सम्मेलन में भाग लेने वालों की सहायता और समर्थन से संसद के कई सदस्य भाग लेंगे।
फ्रेंच इंटरनेशनल इंफॉर्मेशन ग्रुप ऑन तिब्बत के अध्यक्ष सीनेटर जैकलीन यूस्टाचे-ब्रिनियो ने अपने समापन भाषण में इस बात पर प्रकाश डाला कि चीनी अधिकारी तिब्बती पहचान के तीन मुख्य स्तंभों- धर्म, भाषा और संस्कृति को कमजोर करना जारी रखे हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि तिब्बती धर्म पर कड़ी नजर रखी जा रही है और उसका अनादर किया जा रहा है। जबकि शैक्षणिक और व्यावसायिक तंत्र में तिब्बती भाषा की उपेक्षा की जा रही है। यहां तक कि तिब्बती बच्चों को बोर्डिंग स्कूलों में जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है जहां उन्हें चीनी भाषा सिखाई जाती है और नई चीनी पहचान अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा तिब्बती लोगों की पहचान और प्राकृतिक पर्यावरण को नष्ट करने के लिए उठाए गए सभी कदम न केवल तिब्बतियों की पीड़ा को बढ़ाते हैं बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी चिंताएं बढ़ाते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि प्रत्येक राजनीतिक संगठन, एनजीओ और सार्वजनिक हस्ती को आर्थिक हितों की परवाह किए बिना तिब्बत के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए, ताकि बीजिंग में बैठे अधिकारियों को यह सूचित किया जा सके कि उनके लिए क्या अस्वीकार्य है। तिब्बत पर सूचना समूह के सीनेटर के रूप में हम तिब्बत में कैदियों के साथ-साथ शरण मांगने और मानवाधिकारों का सम्मान करने में विफलता की निंदा करने वाले तिब्बतियों के लिए फ्रांसीसी सरकार के साथ हस्तक्षेप करना जारी रखेंगे।
अपने समापन भाषण में सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के कालोन (मंत्री) नोरज़िन डोल्मा ने तिब्बत मुद्दे की निरंतर प्रासंगिकता के प्रतीक के रूप में तिब्बत समर्थकों समूहों के नौवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने टिप्पणी की, ‘इस उद्देश्य को मुख्य रूप से परम पावन दलाई लामा की करुणा, अहिंसा, संवाद और मेल-मिलाप की भावना और प्रतिबद्धता के आधार पर आकार दिया गया है।‘
उन्होंने वर्षों से तिब्बती स्वतंत्रता के संघर्ष में स्वेच्छा से अपना समय, ऊर्जा, विशेषज्ञता और संसाधनों का योगदान देने के लिए प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। उनके प्रयासों का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महसूस किया गया है, तिब्बत पर स्पॉटलाइट बढ़ी है और यह मुद्दा अधिक प्रकाश में आया है। इससे नवीन जमीनी स्तर की सक्रियता, संसदीय प्रक्रियाओं, लॉबी के प्रयासों, मीडिया की सक्रियता और संयुक्त राष्ट्र की पहलों और विभिन्न तंत्रों के उपयोग के माध्यम से पीआरसी सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बढ़ गया है। उन्होंने प्रतिभागियों की तिब्बत और तिब्बत के लोगों से संबंध, जुड़ाव और प्रतिबद्धता की भावना के लिए भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा है कि लंबे समय से चले आ रहे चीन-तिब्बत संघर्ष का समाधान खोजने और तिब्बत के अंदर मानवाधिकार की स्थिति में सुधार लाने के लिए उनके प्रयास महत्वपूर्ण रहे हैं।
इसके अलावा, कालोन ने तिब्बत के बारे में बात की और बताया कि कैसे चीन की कठोर नीतियों के परिणामस्वरूप तिब्बती संस्कृति, भाषा और पहचान धीरे-धीरे खत्म हो रही है। इसमें धार्मिक स्वतंत्रता में कटौती, गहन निगरानी, आवाजाही और व्यापार पर प्रतिबंध, पारिस्थितिक क्षति और जल असुरक्षा शामिल है। ये चुनौतियां बरकरार हैं, लेकिन तिब्बत समर्थक समूहों और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सामूहिक प्रयासों से कुछ सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इससे तिब्बत फिर से वैश्विक सुर्खियों में आ गया है। हालांकि, अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है और हमें उन क्षेत्रों में और सफलता हासिल करने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ मिलकर काम करना जारी रखना चाहिए जहां हम अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं। हमें बातचीत के माध्यम से तिब्बत में संघर्ष के अंतिम समाधान को प्राप्त करने के लिए पहले से ही की गई प्रगति को एकीकृत और सुदृढ़ करना चाहिए।
सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के सचिव कर्मा चोयिंग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘हम प्रतिस्पर्धी के बजाय पूरक भागीदार हैं। इसलिए हमें भाईचारे और एकता की भावना के साथ मिलकर काम करना चाहिए। आप में से कई लोग लंबे समय से तिब्बत के समर्थक रहे हैं और हमारे साथ आपका जुड़ाव और इस मुद्दे के प्रति अमिट प्रतिबद्धता तिब्बतियों की लड़ाई के प्रति आपकी वास्तविक चिंता का प्रमाण है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है।‘
सचिव ने अपने संबोधन को समाप्त करने से पहले कहा कि तिब्बत की आजादी और शांतिपूर्ण दुनिया के लिए लड़ाई सिर्फ हमारी अकेले की लड़ाई नहीं है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम युवा पीढ़ी को संघर्ष जारी रखने की कमान सौंपें। २०२१ में सिक्योंग पेन्पा छेरिंग के नेतृत्व में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों से युवा तिब्बतियों को तिब्बती मुद्दे पर अपना पक्ष रखने में सक्रियता को प्रोत्साहित करने के लिए स्वैच्छिक तिब्बती पक्षधरता समूह (वीटीएजी) की शुरुआत की। वर्तमान में हमारे पास १८ देशों में ३९ वीटीएजी में ५२१ प्रेरित युवा तिब्बती हैं। इसके साथ ही हम अपनीविरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पीढ़ी के अधिक से अधिक युवाओं को नेटवर्क में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इन युवा अभियानी कार्यकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे तिब्बती मुद्दे को बढ़ावा देने के लिए तिब्बती समर्थक समूहों (टीएसजी) और अन्य पक्षों के साथ मिलकर काम करेंगे।