दैनिक जागरण, 3 सितंबर, 2016
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य मुकुत मिथि ने कहा कि तिब्बत मसले पर लंबे समय से वार्ता बंद है। चीन सरकार फिर से वार्ता को शुरू करे। तिब्बत की आजादी के मुद्दे पर सभी दल भी निर्वासित तिब्बतियों के साथ हैं। तिब्बतियों का एक मजबूत लोकतंत्र है और धर्मगुरु दलाईलामा द्वारा इसे और मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं तो निर्वासित तिब्बतियों को भी इस ओर प्रेरित किया है। मुकुत मिथि मैक्लोडगंज स्थित चुगलाखंग बौद्ध मंदिर में निर्वासित तिब्बत सरकार के 56वें डेमोक्रेटिक डे पर संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान लोकसभा सदस्य अरुण कुमार विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसंग सांग्ये सहित निर्वासित सरकार के सांसद भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
मुकुत मिथि ने कहा कि निर्वासित तिब्बत की आजादी के लिए अंहिसा के मार्ग पर चल कर अपने आंदोलन को आगे बढ़ाए हुए हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी सहयोग उन्हें मिला है। उन्होंने आशा व्यक्त की एक दिन तिब्बतियों का यह आंदोलन सार्थक होगा और उन्हें निर्वासन के जीवन से मुक्ति मिलेगी।
निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसंग सांग्ये ने कहा कि दलाईलामा द्वारा आज के ही दिन 1960 में तिब्बती लोकतंत्र की स्थापना की गई थी। इन वर्षो में इसे मजबूत भी किया गया है। लोकतंत्र में बोलने व लिखने की आजादी दी है, परंतु हम इसके प्रति जबावदेह भी हैं। तिब्बत की आजादी के लिए तिब्बत में रह रहे कई तिब्बतियों ने अपने प्राण भी न्योछावर किए हैं, इसलिए उनके बलिदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है।
तिब्बत में अभी भी मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी है। इससे पहले निर्वासित तिब्बती सरकार का झंडा प्रधानमंत्री डॉ. लोबसंग सांग्ये द्वारा चढ़ाया गया। इस मौके पर विभिन्न तिब्बती संस्थानों के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। वहीं कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने वाले तिब्बतियों को सम्मानित किया गया।
Link of news article: http://www.jagran.com/himachal-pradesh/dharmshala-14624423.html