तिब्बती समाज की धर्मसभा में शामिल हुए दलाई लामा
जोधपुर। तिब्बती धर्मगुरु व 14वें दलाई लामा ने कहा कि तिब्बत और बोधत्व की पहचान भारत है। लद्दाख से अरूणाचल प्रदेश तक की संस्कृति तिब्बत की ही संस्कृति है, इसलिए तिब्बत पर चीन से ज्यादा अधिकार तो भारत रखता है। दलाई लामा ने यह बात गुरुवार को होटल ताज हरि में तिब्बती समाज तथा भारत -तिब्बत मैत्री संघ की ओर से आयोजित धर्मसभा में कही।
दलाई लामा ने तिब्बती समाज से कहा कि वे पिछले पचास सालों से निर्वासित जीवन जी रहे हैं, इसलिए हमारी संस्कृति को बचाए रखना बड़ी चुनौति है। हम धर्म व अहिंसा के मार्ग पर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। जिसमें कई देश हमारा साथ दे रहे हैं। यहां तक की चीन के लाखों बौध धर्मावलंबी भी हमारी बात समझ रहे हैं। उन्होंने तिब्बती लोगों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वे उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
चीन में पैसा, भारत में मानवीय मूल्य
दलाई लामा ने भारत और चीन की तुलना करते हुए कहा कि दोनों देशों में लोकतंत्र है, आबादी और आर्थिक विकास में चीन पहले स्थान पर है तो भारत बढ़ती शक्ति है। भारत में आजादी है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जब वे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिले तब उन्हें कहा था चीन से अमेरिका पैसों पर बात कर सकता है। लेकिन भारत से मानवीय मूल्यों पर भी बात की जा सकती है।