ABTSS रिपोर्ट, 2 सितम्बर 2013
अन्र्तराष्ट्रीय भारत तिब्बत सहयोग समिति द्वारा पं0 दीन दयाल उपाध्याय मैनेजमेंट कालिज, मेरठ के प्रांगण में तिब्बतन डेमोक्रेसी डे मनाया गया। इस कार्यक्रम का संचालन पं0 दीन दयाल उपाध्याय मैनेजमेंट कालिज के निदेषक डा0 निर्देष वशिष्ठ ने किया। उन्होने बताया कि आज तिब्बतन डेमोक्रेसी डे की 53 वीं वर्षगांठ है। आज से 53 वर्ष पहले तिब्बती नेताओं ने अपने तिब्बती नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए निर्वासित तिब्बती सरकार का गठन किया था और तब से लेकर आज तक वे परम पावन दलार्इ लामा जी के नेतृत्व में सम्पूर्ण विश्व से समर्थन जुटाकर अपने लिए एक सम्प्रभु लोकतन्त्र की मांग कर रहे हैं।
इसी क्रम में श्री एस0एस0 ब्रोका ने बताया कि तिब्बत की स्वतन्त्रता भारत की सुरक्षा के लिए अति आवशयक है। फिर भी हमारे देश के नौजवान आज भी तिब्बत की समस्या के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं। हमारी शिक्षण संस्थाओं को अपने शिक्षकों के माध्यम से विधार्थियों को इस विषय के प्रति जागरूक करने की आवशयकता है। यदि नौजवान विधार्थी इस विषय की गम्भीरता को नहीं समझेंगे तो यह भारत के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे। उन्होने आशवासन दिया कि वह और उनके कालिज के शिक्षकगण तिब्बत जागरूकता अभियान में अन्र्तराष्ट्रीय भारत तिब्बत सहयोग समिति का पूरा सहयोग करेंगे। इसी विषय पर बोलते हुए श्री एस0एन0 गुप्ता ने कहा कि तिब्बत की परतन्त्रता उस समय की भारत सरकार की राजनैतिक भूल का परिणाम है। उस समय की सरकार ने चीन पर भरोसा करके तिब्बत और भारत दोनो देशों का नुकसान किया। उन्होने तिब्बतियों द्वारा किये जा रहे आत्मदाह पर चिन्ता व्यक्त की। तिब्बती संस्कृति भारत से प्रभावित है। अहिंसा, नैतिकता एवं उदारता जैसे गुण भारत एवं तिब्बत की संस्कृति में एक समान है जो उन्हे चीन से प्रथक करते हैं।
अन्त में अन्र्तराष्ट्रीय भारत तिब्बत सहयोग समिति के अध्यक्ष श्री कुल भूषण बख्शी जी ने बताया कि सरदार वल्लभ भार्इ पटेल ने तिब्बत की समस्या एवं भारत की सुरक्षा के विषय में तत्कालीन सरकार के प्रधानमंत्री को उसी समय चीनी मंसूबो की जानकारी दे दी थी। परन्तु पं0 जवाहर लाल नेहरू ने उसे गम्भीरता से नहीं लिया। जिसका परिणाम भारत को चीन के हाथों हार का सामना करना पड़ा एवं तिब्बत को गुलामी का दंश झेलना पड़ रहा है। भारत की संसद ने सन 1962 में एक प्रस्ताव पारित किया था कि जब तक चीन के कब्जे में भारत की एक इंच भी जमीन रहेगी तब तक वे शांति से नहीं बैठेंगे। परन्तु यह बडे़ दुख का विषय है कि आज तक इस विषय पर हमारे सांसदो द्वारा दोबारा कोर्इ विचार नहीं किया गया।
उन्होने बताया कि परम पावन दलार्इ लामा जी पिछले 26 वर्षों से Mind and Life Institute, USA के माध्यम से मानव जाति के कल्याण के लिए प्रयासरत हैं और जल्दी ही Mind and Life Institute के Indian chapter की औपचारिक शुरूआत मेरठ से होने की संभावना है। उन्होने इस अवसर पर उपस्थित सभी महानुभावों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर सर्वश्रीश्रीमति कुल भूषण बख्शी, डा0 निर्देश वशिष्ठ, डा0 वार्इ0पी0 कौशल, सुन्दर बख्शी, कृष्ण बल शर्मा, डा0 एस0एन0 गुप्ता, डा0 गौरव अग्रवाल, एस0एस0 ब्रोका, डा0 चारू शर्मा, डा0 मनोज शर्मा, डा0 रोबिन्स रस्तौगी, डा0 अमित शर्मा, डा0 तबस्सुम, डा0 अमोल मल्होत्रा, डा0 रचना त्यागी, डा0 नीरज कौषक इत्यादि इत्यादि उपस्थित रहे।