पटना। करमापा लामा भारत में चीन के एजेंट है इस बात का भारत-तिब्बत सहयोग संघ पुरजोर विरोध करता है। ऐसी बातें जानबुझ कर चीन के द्वारा फैलाई जाती हैं ताकि भारत में तिब्बत के लोगों की शरणस्थली न रहे। और ना ही कोई तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई जारी रख सके।
भारत-तिब्बत सहयोग संघ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री ने पटना में पत्रकारों से बात करते हुए यह बातें कहीं।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत का तिब्बत के मुद्दे पर रवैया एकदम ढीला है। भारत भी अब कमोबेश चीन की ही भाषा बोलने लगा है, कि यह क्षेत्र विवादित है। उन्होंने कहा कि तिब्बत के मामले को भारत-चीन बातचीत के दौरान मुख्य एजेंडे के तौर पर रखा जाए।
भारत सरकार अगर तिब्बत को स्वतंत्र राज्य की तरह देखेगा तो चीन के दावे खुद-ब-खुद समाप्त हो जाएगें। उन्होंने बताया कि चीन हाल के दिनों में अरूणाचल प्रदेश के भी कुछ हिस्सों को भी अपना बताने लगा है।
अरूणाचल प्रदेश के लोगों को अब भारत के वीजा पर चीन में प्रवेश नहीं मिल रहा है। अब उन्हें सफेद कागज पर वीजा दिया जा रहा है। तिब्बत के लोगों को भी चीन के वीजा पर भारत में प्रवेश देने के बजाए स्वेत पत्र पर वीजा देना चाहिए।
मुख्य तथ्य
तिब्बत के लोगों को चीन के वीजा पर भारत में आने की अनुमति के बजाए, श्वेत कागज पर आने की अनुमति दी जाएअरूणाचल प्रदेश के लोगों को चीन श्वेत कागज पर ही वीजा देता है भारत के वीजा पर नहींतिब्बत के लोगों की रक्षा के लिए धर्मशाला से तवांग तक जून में निकाला जाएगा मार्च
मुख्य मांग
भारत-चीन की बातचीत में तिब्बत मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाए।तिब्बत के लोगों को सफेद कागज पर वीजा दिया जाए, जैसा अरूणाचल के लिए चीन ने किया है।अपना ढीला-ढाला रवैया छोड़े भारत सरकार।तिब्बत को स्वतंत्र देश माना जाए।