दैनिक जागरण, 8 नवंबर, 2012
कार्यालय संवाददाता, धर्मशाला : चीन अधिकृत तिब्बत की स्थिति पर निर्वासित तिब्बत सरकार ने चिंता जाहिर की है। इसमें सुधार के लिए निर्वासित तिब्बत सरकार ने एक पत्र चीन सरकार को भेजा है, ताकि शांति का माहौल पैदा कर तिब्बत को विकास की ओर बढ़ाया जा सके। बुधवार को निर्वासित तिब्बत सरकार की संसद के स्पीकर पेंपा शीरिंग व डिप्टी स्पीकर सोनम तेंफेल ने कहा कि तिब्बत में आत्मदाह के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मानव अधिकारों के हनन के चलते लोग ऐसे कठोर कदम उठा रहे हैं। अपने देश के लोगों का आत्मदाह करना दुखद एवं चिंतनीय है। तिब्बत में 63 आत्मदाह हो चुके हैं, जिसमें 55 पुरुष एवं 8 महिलाएं शामिल हैं। अक्टूबर में दस लोगों ने आत्मदाह किया। इनमें अधिक 64 आयु वर्ष और सबसे युवा 17 वर्ष के लोग शामिल रहे हैं। इन लोगों ने जान अपने अधिकारों के लिए किए जा रहे प्रदर्शन में दी।
उन्होंने आरोप लगाया कि चीन सरकार हक के लिए बुलंद आवाज को दबा रही है। एक दशक में चीन ने आर्थिक एवं अन्य स्तरों पर विकास किया, लेकिन तिब्बत के प्रति सरकार का रवैया नहीं बदला है। दमनकारी नीतियों में किसी तरह का परिवर्तन नहीं हो पाया है। निर्वासित सरकार ने चीन सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया है, जिसमें चार प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है। इसमें चीन सरकार से कदम उठाने की अपील की गई है।