नवभारत टाइम्स, 2 अक्टूबर 2014
आधी सदी से भी ज्यादा समय से तिब्बत से निर्वासित चल रहे दलाई लामा ने गुरुवार को स्वीकार किया कि अपनी जन्मभूमि की ऐतिहासिक धार्मिक यात्रा के लिए वह चीन से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे। गौरतलब है कि पिछले महीने ही चीन की एक वेबसाइट पर एक अनाम ब्लॉग में ये जानकारी दी गई थी।
तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि उन्होंने चीन से अपनी मंशा साफ कर दी है कि वह कम्युनिस्ट पार्टी के रिटायर्ड अधिकारियों संग अपनी जन्मभूमि पर स्थित पवित्र पर्वत तक की धर्म यात्रा करना चाहते हैं। 79 वर्षीय धर्म गुरु ने कहा कि अब तक ये मामला फाइनल नहीं हुआ है, लेकिन ये मेरे विचारों में शामिल है। उन्होंने कहा कि चीन शासित तिब्बत के पार्टी उपसचिव से उन्होंने अपनी ये इच्छा व्यक्त की है।
तिब्बत में वुताई शान पर्वत को तिब्बती अपने धर्म के अनुसार पवित्र मानते हैं। चीन दलाई लामा को अलगाववादी धर्म गुरु मानता रहा है और उन पर आरोप लगाता रहा है कि किसी बड़े मकसद के लिए उन्होंने संन्यास ले रखा है। दलाई लामा ने 2011 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था और वे तिब्बती क्षेत्र को ज्यादा स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
विगत दिनों चीन के प्रेजिडेंट शी चिनफिंग के चीनी समुदाय में बौद्ध धर्म के महत्व से संबंधित बयान का स्वागत करते हुए दलाई लामा ने कहा था कि वह मौजूदा चीनी नेतृत्व के नजरिए को लेकर आशान्वित हैं। कुछ दिन पहले शी चिनफिंग को खुले दिमाग वाला शासक बतानेवाले दलाई लामा ने कहा कि ये सुखद है कि कम्युनिस्ट पार्टी के लीडर स्पिरिचुऐलिटी पर कुछ बोल रहे हैं।
गौरतलब है कि 1950 में तिब्बत छोड़ने से पूर्व दलाई लामा के चिनफिंग के पिता के साथ बहुत अच्छे संबंध थे। उन्होंने प्रेजिडेंट की उस बात के लिए भी तारीफ की जिसमें चिनफिंग ने ऑफिशल करप्शन पर सख्ती दिखाई थी। हालांकि उन्होंने उइगुर लेखक इल्हाम तोहती के साथ हुई बदसलूकी और उन्हें जेल में डालने की कार्रवाई की निंदा की।
Link of the news: http://navbharattimes.indiatimes.com/state/himachal-pradesh/other-cities/dalai-lama-want-a-religious-visit-of-tibet/articleshow/44125680.cms