दैनिक जागरण, 11 मार्च, 2012
मेरठ: आईआईएमटी कालेज में अंतरराष्ट्रीय भारत-तिब्बत सहयोग समिति ने एक समारोह का आयोजन किया। तिब्बतियों की राष्ट्रीय विद्रोह की 53वीं वर्षगांठ पर संपन्न इस कार्यक्रम में जेएनयू के मुख्य अतिथि प्रोफेसर आनंद कुमार एवं अजय मित्तल विशिष्ट अतिथि रहे।
मुख्य अतिथि ने कहा कि चीनी गणराज्य द्वारा शांतिप्रिय तिब्बत पर की जा रही ज्यादती दुर्भाग्यपूर्ण है। कहा कि यह दिशाहीनता का दौर है, जिससे उबरना होगा। चीन जिस प्रकार से तिब्बत में परमाणु हथियारों का जखीरा जमा कर रहा है, वह भारत के प्रमुख शहरों को निशाना बना सकता है। बताया कि इन हालातों से निपटने के लिए भारत को अपना रक्षा बजट बढ़ाना पड़ रहा है। विशिष्ट अतिथि अजय मित्तल ने बताया कि भारत एवं तिब्बत के बीच महाभारत कालीन साझी संस्कृति रही है। वास्तुशास्त्र के दृष्टिकोण से भी तिब्बत भारत का करीबी राष्ट्र साबित होता है। तिब्बत प्रतिनिधि तेनजिंग नोरबू ने राष्ट्रीय विद्रोह के अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। भारत सरकार से तिब्बत की आजादी के लिए खुलकर सहयोग करने की अपील की। कुलभूषण बख्शी ने शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा। कार्यक्रम में डा. निर्देष वशिष्ठ,नरेन्द्र मिश्रा, डा. संदीप, डा. मयंक जैन समेत कई ने भाग लिया।