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धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने श्तिब्बती विद्रोह दिवस की 61वीं वर्षगांठश् के अवसर पर उन तिब्बती शहीदों को याद किया, जिन्होंने 1959 में तिब्बत पर चीनी सेना के औपनिवेशिक आक्रमण और तिब्बतियों के उत्पीड़न के खिलाफ इस दिन स्वतरू स्फूर्त ढंग से विरोध-प्रदर्शन किया था, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी।
इस अवसर पर हुए आधिकारिक कार्यक्रम की अध्यक्षता सीटीए अध्यक्ष सिक्योंग डॉ लोबसांग सांगेय ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चेक पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत के संस्थापक सदस्य, ग्रुप के उपाध्यक्ष और कमेटी फॉर यूरोपियन अफेयर ऑफ द चैम्बर ऑफ डेपुटीज के उपाध्यक्ष माननीय श्री फ्रांटिसेक कोप्रीवा रहे और विशेष अतिथि चेक पार्लियामेंटरी ग्रुप फॉर तिब्बत की संस्थापक सदस्य और कमेटी ऑफ एनवायरमेंट ऑफ द चैम्बर ऑफ डेपुटीज की अध्यक्ष डाना बाल्कोरोवा थी। इसके अलावा तिब्बती संसद के अध्यक्ष, मुख्य-न्यायिक आयुक्त, तिब्बती संसद के सदस्य, सभी विभागों के मंत्रीगण, सीटीए कर्मचारियों और स्थानीय तिब्बती समुदाय के लोग भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत तिब्बती और भारतीय राष्ट्रगान से हुई। इससे पहले सिक्योंग ने झंडा फहराया। उसके बाद तिब्बती शहीदों के सम्मान में एक मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के छात्रों ने श्राष्ट्रीय विद्रोह गीतश् गाया।
सिक्योंग ने मुख्य अतिथियों का स्वागत किया और तिब्बती और अंग्रेजी में अपना आधिकारिक बयान देने से पहले उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी से स्वास्थ्य के लिए उत्पन्न खतरे के बीच यूरोप से धर्मशाला तक यात्रा करने की उनकी उत्कट इच्छा के लिए तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्हें धन्यवाद दिया। इसके बाद उन्होंने इन सत्तर वर्षों में तिब्बत में बिगड़ती मानव अधिकारों की स्थितियों का मुद्दा उठाया और हाल के दिनों में तिब्बत के लिए बढ़ते वैश्विक समर्थन का उल्लेख किया। इसी समर्थन का प्रतिफल परम पावन दलाई लामा के उत्तराधिकार और तिब्बतियों के धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मामलों पर अमेरिकी सरकार द्वारा प्रस्तावों के पारित होने में देखा गया। उन्होंने तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों के लिए उम्मीद जताई, जो कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि रोग जल्द खत्म हो जाएगा और वे लोग शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करेंगे।
इसके बाद अध्यक्ष ने काशाग का आधिकारिक बयान दिया, जहां उन्होंने सभी तिब्बतियों से तिब्बती शहीदों के बलिदानों को याद करने और तिब्बत के संघर्ष के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने उन्हें सोशल मीडिया पर हमारे समुदाय के बीच चल रहे कुनिर्मित और विभाजनकारी पोस्टों से नहीं भटकने का भी आह्वान किया।
तब विशिष्ट अतिथि सुश्री दाना बालकरोवा ने सभा को संबोधित किया। दर्शक ताशी देलेक को गर्मजोशी से बधाई दी और यहां परम पावन के घर धर्मशाला में तिब्बती विद्रोह दिवस कार्यक्रम में अपना स्वागत करने पर खुशी का इजहार किया। उन्होंने कहा कि परम पावन दलाई लामा को दुनिया भर में सम्मान दिया जाता है और चेक गणराज्य में भी उनके प्रति ऐसा ही सम्मान का भाव है। उन्होंने कहा कि वह पूर्व चेक राष्ट्रपति वैक्लेव हॉवेल को परम पावन के प्रति उनकी श्रद्धा और सम्मान के लिए याद करना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि कमेटी ऑफ एनवायरमेंट ऑफ द चैम्बर ऑफ डेपुटीज की चेक संसदीय समिति तिब्बत के पर्यावरण के मुद्दे पर तिब्बती सरकार के विचारों का ही समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि तिब्बत के भू-अर्जन के कारण पड़ोसी देशों और दुनिया की जलवायु पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि प्रमुख नदियों का बहाव एशिया से होकर ही है। प्राकृतिक संसाधनों के नुकसान के साथ-साथ खनन और अन्य विनाशकारी क्रियाकलापों का नुकसान भी पड़ोसी देशों के जीविका को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने चेक गणराज्य और तिब्बत के बीच समान मुद्दों पर जोर दिया, जो कि औपनिवेशिक अधीनता में था और जिस आजादी को चेक लोगों ने लड़कर 1989 में हासिल किया। उन्होंने आशा व्यक्त की और उनका दृढ़ विश्वास है कि तिब्बती भी इसी तरह अपनी आजादी को प्राप्त करेंगे और तिब्बत के प्रति एकजुटता दिखाएंगे।
इसके बाद मुख्य अतिथि माननीय फ्रांटिसेक कोप्रिवा ने अपने जबरदस्त आतिथ्य के लिए सभी को धन्यवाद देते हुए और तिब्बती विद्रोह दिवस पर निमंत्रण मिलने को लेकर खुशी व्यक्त करते हुए सभा को संबोधित किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि जब 2018 में तिब्बती समर्थक समूह की स्थापना की गई थी और लक्ष्यों और थीसिस पर चर्चा की जा रही थी तो उन्हें मूल्यों की समानता, जैसे कि मध्यम मार्ग दृष्टिकोण, तिब्बती संस्कृति और इसके संरक्षण को बढ़ावा देना और परम पावन दलाई लामा का सम्मान के संबंध में काम करने का एहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने संसदीय सहायता समूह और उनकी व्यस्तताओं के बारे में संक्षेप में बात की। उन्होंने बताया कि इस राजनीतिक दायरे में 53 मजबूत सदस्य है। उन्होंने उल्लेख किया कि अब तक वे दो बार सिक्योंग को चैम्बर ऑफ डेपुटीज और संसद कक्ष में आमंत्रित कर चुके हैं और उन्हें फिर से आमंत्रित करने के लिए तैयार हैं। साथ ही उन लोगों को भी आमंत्रित करना चाहते हैं जो आना चाहते हों। उन्होंने कहा कि सहायता समूह ने तीन हफ्ते पहले ष्बच्चों की नजरों में तिब्बतष् नामक एक प्रदर्शनी संसद में आयोजित की थी, जो देश भर के छात्रों द्वारा लगाया गया था। इसमें तिब्बत, इसके पर्यावरण और मूल्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके सहयोगी को हाल ही में यूरोपीय संसद के लिए चुना गया था और वे तिब्बत के मुद्दे को विश्व स्तर पर भी उठाएंगे। उन्होंने चेक गणराज्य में स्थित लुंगता नाम के एक तिब्बती गैर सरकारी संगठन का भी उल्लेख किया जो तिब्बत के झंडे को आगे बढ्राता है और इसी के कारण देश भर में नगरपालिका हॉल, पुस्तकालयों और स्कूलों में तिब्बती झंडे फहराए जाएंगे। आगे यह कहते हुए कि सहायता समूह के उनके सहयोगियों ने चीनी दूतावास के सामने मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन का विरोध करने के लिए प्रदर्शन करने जा रहे है और जब तक जरूरी होगा तब तक अपने प्रयासों को जारी रखने का दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं। उन्होंने इसके बाद चेक संसद से समर्थन की घोषणा पढ़कर सुनाया, जिसमें पूर्व विदेश मंत्री, स्पीकर और कमेटी ऑफ डेपुटीज के अध्यक्ष और अन्य शामिल हैं।