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ब्रसेल्स। बेल्जियम के इकोलो-ग्रोएन पार्टी के सांसद सैमुअल कोगलाटी ने ‘तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति’ के बारे में बेल्जियम सरकार से कई सवाल पूछे।
21 जनवरी 2020 को संसद में उठाए गए अपने सवालों में विदेश संबंधों पर समिति के उपाध्यक्ष श्री कोगोलती ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने में चीन द्वारा हस्तक्षेप किए जाने की स्थिति में सरकार के स्पष्ट इरादे के बारे में पूछा। सांसद ने यह भी पूछा कि क्या बेल्जियम सरकार अमेरिका की तरह का कोई कानून लाएगी या चाहे यह डच सरकार द्वारा 11 नवंबर 2019 को संसद को दिए गए संदेश जैसा कोई संदेह देगी।
इन परिस्थितियों में, उन्होंने पूछा कि चीन द्वारा तिब्बती संस्कृति, भाषा को नष्ट करने और मठों के विध्वंस करने और चीनी दमन और निगरानी अभियानों पर बेल्जियम सरकार का क्या रुख है। या दलाई लामा के उत्तराधिकार पर बेल्जियम सरकार की स्थिति क्या है या क्या बेल्जियम यूरोपीय संघ के स्तर पर इन पर बहस चलाने का अभियान चलाएगा?
उपरोक्त सवालों के जवाब में विदेश मामलों के बेल्जियम के मंत्री श्री फिलिप गोफिन ने जवाब दिया कि बेल्जियम सरकार तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति पर सांसद की चिंता से सहमत है।
उन्होंने विभिन्न विकल्पों को सुझाव दिया, जिसमें बेल्जियम सरकार चीन के साथ द्विपक्षीय स्तर पर या यूरोपीय संघ स्तर पर या संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बहुपक्षीय मंच पर अपनी चिंताओं को उठा सकती है।
उदाहरण के लिए मंत्री ने कहा कि टीएआर उपाध्यक्ष के नेतृत्व में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के प्रतिनिधिमंडल के साथ ब्रुसेल्स में 13 दिसंबर 2019 को हुई एक बैठक के दौरान तिब्बती मुद्दा उठाया गया था।
मंत्री ने नवंबर 2018 में चीन में वैश्विक आवधिक समीक्षा (यूपीआर) में बेल्जियम के हस्तक्षेप के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने उपरोक्त मामलों पर यूरोपीय संघ के साथ काम करने के कई तरीके भी गिनाए।
उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा इस समय परम पावन दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन का है। इस पर उन्होंने कहा कि एक धर्मगुरु के रूप में दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर और धर्म की स्वतंत्रता के सिद्धांत के आधार पर, यह तार्किक रूप से तिब्बती धार्मिक समुदाय को करने लायक काम है। वह भी बिना किसी अस्थायी प्राधिकार के बिना किसी हस्तक्षेप के।