पाञ्चजन्य, 30 नवंबर 2013
भारत तिब्बत सहयोग मंच द्वारा एक नवंबर से प्रारम्भ हुई दूसरी तवांग यात्रा गत 16 नवंबर को समाप्त हुई। भारत- तिब्बत संबंधों को मजबूत करने और चीन के बढ़ते खतरे के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए इस यात्रा की शुरुआत की गई थी। तेजपुर से होते हुए तवांग यात्रा गत 10 नवंबर को बोमडीला पहुंची थी। जहां स्थानीय लोगों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया। थुवचोग त्सेललिंग मठ में अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य व भारत-तिब्बत सहयोग मंच के संरक्षक श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि प्रत्येक तिब्बती को पूजा के वक्त एक दीया तिब्बत की आजादी के लिए भी जलाना चाहिए।
उन्होंने नारा दिया तिब्बत की आजादी,कैलास मानसरोवर की मुक्ति, भारत की सुरक्षा के नाम पर भी जलाना चाहिए। तिब्बत और भारत का एक दूसरे से निकट का नाता हैं। चीन दोनों के लिये खतरा है। मठ के प्रशासक लामा जी ने कहा कि इस यात्रा से अरुणाचल प्रदेश के लोगों का उत्साहबर्धन होगा। मंच के कार्यकारी अध्यक्ष डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा, चीन केवल ताकत की भाषा समझता है, इसलिये भारत को भी शक्ति संचयन करना होगा। 11 नवंबर को देर रात यात्रा तवांग पहुंची। परंपरागत स्वागत के बाद सभी यात्री मंजुश्री विद्यापीठ पहुंचे। विद्यापीठ में भारत -चीन संबंधों और तिब्बत की आजादी विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया था। इस विषय पर श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन विस्तारवादी देश है,उसने केवल तिब्बत ही नहीं बल्कि मंचूरिया, आधा मंगोलिया और पूर्वी तुर्कमीनिस्तान को भी हड़प लिया है। दक्षिण पूर्व एशिया के दूसरे देश भी चीन की दादागिरी से तंग हैं। यदि भारत तिब्बत के मुद्दे पर चीन को कटघरे में खड़ा करता है तो वे दूसरे देश उस पर भरोसा करेंगे। अरुणाचल प्रदेश में लम्बे अर्से से सामाजिक कार्यो में संलग्न श्री नरेन्द्र सिंह ने अरुणाचल के इतिहास पर प्रकाश डाला। विद्यापीठ के संस्थापक निदेशक लामा थप्तेन फुंछोक ने कहा,यदि तिब्बत आजाद हो तो हिमालय की रक्षा के लिए किए जाने वाला धन विकास कार्यों में खर्च हो सकता है। 12 नवंबर को सभी ने गुरु पद्मसंभव मंदिर में पूजा अर्चना की। भारत माता की आराधना करने और तिब्बत मुक्ति का संकल्प लेने के बाद सभी प्रतिभागी वापस तवांग पहुंचे।