धर्मशाला: तिब्बतियन गुरु महामहिम दलाईलामा ने कहा है कि भारत में गरीब और अमीर बच्चों में काफी अंतर है। समाज में हमारा यह फर्ज बन जाता है कि हम सभी मिल कर इस अंतर को कम करे। देश के कई शहरों में झुग्गी झोपड़ी का दायरा दिनों दिन बढ़ रहा है जो अच्छा संकेत नहीं है। दलाई लामा ने खुशी जाहिर की एक तिब्बती युवा ने ट्रस्ट बना कर हिमाचल के गरीब बच्चों की मदद करने का बीड़ा उठाया है। वे आज सराह में टोंगलेन संस्था द्वारा गठित ट्रस्ट के उद्घाटन पर बोल रहे थें।
हिमाचल प्रदेश के बारे में दलाई लामा ने कहा कि यहां न तो अधिक गरीब है और नही अधिक अमीर। यह एक अच्छी व्यवस्था कही जा सकती है। उन्होंने दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों मे बढ़ रहे स्लम क्षेत्र पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इसका कुछ न कुछ जल्द समाधान होना चाहिए। समाज और सभी स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा मिल कर इस गरीबी को दूर करने के प्रयास किए जाने चाहिएं। उन्होंने इस संस्था को हर सम्भव सहायता देने का आश्वासन दिया।
इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य शान्ता कुमार ने कहा कि देश की वित्तीय राजधानी कही जाने वाली मुम्बई में सबसे अधिक स्लम क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि भारत ने विकास तो अवश्य किया है लेकिन गरीबी और अमीरी में अंतर बहुत ज्यादा बढा है। आज भारतवर्ष में 5 करोड़ 76 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार है। उन्होने टोंगलेन स्वंय सेवी संस्थान की इस कार्य के लिए सराहना की।
शान्ता कुमार ने सांसद निधि से इस संस्थान को दस लाख रुपये देने की भी घोषणा की।
टोंगलेन संस्था ने पहले डिपों बाजार में एक मकान लेकर चरान खड़ के झुगी झोपड़ी के बच्चों को शिक्षा देना आरम्भ किया था और अब इस संस्था ने सराह गांव में भूमि लेकर एक स्थायी होस्टल तैयार किया है। इस संस्था ने पहले धर्मशाला क्षेत्र में स्लम एरिया का सर्वेक्षण किया जिसमें 160 परिवारों में से 142 परिवारों के बच्चों का चयन होस्टल के लिए किया गया। इसमें से आधे बच्चे इस नये होस्टल में प्रवेश पा चुके हैं जबकि बाकी जल्द ही प्रवेश पा लेंगे। पढाई के अलावा इन बच्चों के अविभावकों को 150 रूपये प्रतिमाह भी दिए जा रहे है। इस होस्टल में केवल बच्चों को शिक्षा प्रदान करना ही एक मात्र उदेश्य रखा गया है। कुछ समय बाद इन छात्रों को कम्पयूटर शिक्षा भी प्रदान की जाएगी।प्रारम्भ में इसमें 95 बच्चों को दाखिला दिया गया है। इस अवसर पर स्थानीय लोगों के अलावा बडी संख्या में विदेशी लोग भी मौजूद थे।