दैनिक जागरण, 10 दिसंबर, 2016
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में तिब्बत सहयोग मंच ने पीस मार्च फार फ्री तिब्बत का आयोजन किया। दिल्ली एनसीआर में रह रहे निर्वासित तिब्बत समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और विश्व के देशों से चीन के कब्जे से तिब्बत को मुक्त कराने की मांग की।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और भारत तिब्बत सहयोग मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार, मंच के अध्यक्ष व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद भगत सिंह कोश्यारी, संघ के पूर्व प्रचारक व मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल, निर्वासित तिब्बत सरकार की पूर्व गृहमंत्री डोलमा गेरी, नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी, जनरल पीके सहगल व मानवाधिकार कार्यकर्ता डा दानिश कमाल उपस्थित रहे।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन तिब्बत में न सिर्फ मानवाधिकारों का हनन कर रहा है, बल्कि उसके सैनिकों द्वारा तिब्बत के मूल निवासियों की हत्याएं की जा रही हैं। यही हाल देश में चीन का समर्थन करते हुए लाल सलाम का नारा लगाने वाले माओवादी और नक्सलवादी कर रहे हैं। वह छत्तीसगढ़, केरल, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में मानवाधिकार हनन के साथ लोगों की हत्याएं कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि वह बात तो करता है वार्ता की, लेकिन सीमा पर गोलीबारी करने, भारत के लोगों को मारने और यहां आतंकी ¨हसा को फैलाने का काम कर रहा है।
पंकज गोयल ने कहा कि चीन मानवाधिकार का हनन केवल तिब्बत में ही नहीं कर रहा है बल्कि भारत की जनता के साथ भी अरुणाचल प्रदेश व पीओके में देश की एक लाख वर्ग किमी पर कब्जा कर रहा है। कोश्यारी ने तिब्बत के लोगों की स्वायत्ता की मांग को पांडवों द्वारा पांच गांव मांगे जाने से तुलना करते हुए कहा कि जिस प्रकार कौरव सत्ता और शक्ति के मद में चूर थे और उन्हें जान के साथ सत्ता गंवानी पड़ी। वहीं हाल चीन का हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष चलता रहेगा और इसके लिए अगर प्राण भी गंवानी पड़ी तो उसके लिए भी तैयार है।
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