tibet.net / दिल्ली। ‘तुम्हारा नाम क्या है- तिब्बत’ वरिष्ठ भारतीय पत्रकार श्री चंद्र भूषण द्वारा तिब्बत पर प्रत्यक्ष जानकारी के आधार भारत की प्रमुख भाषा हिन्दी में लिखी गई पुस्तक है। इसका अंग्रेजी में शाब्दिक अनुवाद ‘व्हाट इज योर नेम- तिब्बत’ होगा। वर्तमान में नवभारत टाइम्स में कार्यरत श्री चंद्र भूषण इससे पहले भी विभिन्न समाचार पत्रों में वर्षों तक पत्रकार के तौर पर काम किया है। उनकी ‘इतनी रात गए’ और ‘आता रहूंगा तेरे पास’ सहित कई कविता संग्रह और पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। पत्रकारिता के विज्ञान, शिक्षा और नैतिकता के अध्ययन में उन्होंने अपने अनुवाद कौशल का भी परिचय दिया है।
यह पुस्तक चीनी कम्युनिस्ट सरकार की उन पांडुलिपियों और ब्लूप्रिंट को उजागर करती है, जिसने १९४९ के बाद से तिब्बत के पारिस्थितिक संसाधनों को तबाह कर दिया है और इसकी सांस्कृतिक अस्मिता और तिब्बती पहचान को विलुप्ति के कगार पर पहुंचा दिया है। २०१५ में चीनी सरकार द्वारा पत्रकारों का तिब्बत दौरा कराने की योजना का हिस्सा रहे चंद्र भूषण ने ल्हासा, चेंगदू और तिब्बत के अन्य हिस्से की यात्राएं की थीं। यह पुस्तक समकालीन चीनी इतिहास, तिब्बती पहचान की कहानी, कम्युनिस्ट चीन की नई डिजाइन की गई नीतियों की विफलता, चीन के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के बढ़ने से होने वाली अपूरणीय क्षति और इस स्तर पर भारत की मजबूरी का रहस्योद्घाटन भी है।
श्री चंद्र भूषण की पुस्तक तिब्बत के अंदर उन तिब्बतियों की वास्तविकताओं और भावनाओं की सूक्ष्म अभिव्यक्ति भी है, जिन्होंने तिब्बत की स्वतंत्रता की लौ को अटूट और प्रज्जवलित रखा है और यातना, कारावास और दमन के चीन के सभी कठोर प्रयासों के बावजूद परम पावन १४वें दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन में उनका विश्वास दृढ़ है।
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, प्रतिष्ठित समाजशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) डॉ. आनंद कुमार ने पुस्तक की प्रस्तावना में उम्मीद जताई है कि यह पुस्तक भारत-तिब्बत-चीन के त्रिपक्षीय अंतर संघर्ष की अंधेरी सुरंग को उजागर करेगी। पुस्तक का आधिकारिक विमोचन मार्च- २०२२ में दिल्ली और वाराणसी में किया जाएगा, जबकि पुस्तक डिजिटल बाजार में उपलब्ध हो गई है।