धर्मशाला। सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) और तिब्बत ब्यूरो जिनेवा ने चीन के कब्जे में आनेवाले क्षेत्रों में मानवाधिकारों की गिरावट पर चर्चा के लिए २६ अक्तूबर को संयुक्त रूप से ‘जिनेवा फोरम-२०२३’ का आयोजन किया। दो दिवसीय फोरम के उद्घाटन समारोह को लिथुआनिया के संसद सदस्य माननीय अरुणास वालिंस्कास, स्विट्जरलैंड के माननीय संसद सदस्य निकोलस वाल्डर और आयोजन विभाग से माननीय कालोन (मंत्री) नोरज़िन डोल्मा ने ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया। फोरम के उद्घाटन समारोह में प्रतिनिधि रिगज़िन चोएडन जेनखांग (ब्यूरो डु तिब्बत, ब्रुसेल्स), डीआईआईआर के अतिरिक्त सचिव तेनज़िन लेक्शी के साथ मानवाधिकार विशेषज्ञों, वकीलों, शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, सरकारों, राजनयिकों, थिंक टैंक, नागरिक समाज समूहों और यूरोप के वी-टैग के सदस्यों सहित अन्य विशिष्ट जनों ने शिरकत की।
सभी उपस्थित लोगों के प्रति गहरा आभार प्रकट करते हुए कालोन नोरज़िन डोल्मा ने कहा, ‘इस समय तिब्बत, ताइवान, हांगकांग, पूर्वी तुर्केस्तान, मंचूरिया, इनर मंगोलिया और कई अन्य क्षेत्रों में प्रतिरोध की आवाजें मजबूत हो रही हैं। इन क्षेत्रों में पीआरसी सरकार अपनी विश्वसनीयता और वैधता को कायम रखने के संकट से जूझ रही है।‘ उन क्षेत्रों में आंदोलन और कार्यकर्ता अभी भी अलग-अलग रूपों और अलग-अलग स्तरों पर मौजूद हैं। इन उत्पीड़ित समूहों के प्रति चीन की नीतियां यथास्थिति बनाए रखनेवाली ही रही है। चीन जैसे अधिनायकवादी शासन से इसी तरह की प्रतिक्रिया अपेक्षित भी थी। इसका मतलब है कि यह असहमति की आवाजों को कुचल रहा है और सार्वजनिक अभिव्यक्ति के हर माध्यम पर एकाधिकार जमा रहा है। यह नीति सीसीपी की आधिकारिक स्थिति, शासन और नीतियों के विपरीत है। यह सीसीपी के संविधान और कानूनों का भी अनुपालन नहीं कर रहा है। इसलिए, चीन में मानवाधिकारों का उल्लंघन असल में उसकी वैधता सहित सभी तरह के संकटों का लक्षण है।
फोरम के दौरान जमीनी हकीकत की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिभागियों द्वारा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के अधिकार क्षेत्रों में चीनीकरण करने की नीति और चीन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रामकता सहित पीआरसी के अधिकार क्षेत्रों में मानवाधिकार स्थितियों में गिरावट की स्थिति से संबंधित विषयों की शृंखला पर चर्चा की जाएगी। जिनेवा फोरम की कल्पना चीन के यूनिवर्सल पीरियोडिक रिव्यू (यूपीआर) के तीसरे चक्र की पृष्ठभूमि में की गई थी। पहला जिनेवा फोरम ०२ नवंबर २०१८ को आयोजित किया गया था। इस पर जबरदस्त उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिलने के बाद एक दिवसीय फोरम दो दिवसीय कार्यक्रम में बदल गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केंद्रीय विषय से संबंधित सभी प्रमुख मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा और विचार-विमर्श किया जा सके।
फोरम के विषय संबंधी पैनल में चीन के निम्न अधिकारों से संबंधित रिकॉर्ड पर भी चर्चा और समीक्षा की जाएगी
१. मानवाधिकार रुझान: चीन के अधीन क्षेत्रों में स्थिति
२. अभिव्यक्ति की आवाजों को खामोश करना: चीन की आत्मसात करने की नीति और इसके पक्षकारों पर कार्रवाई
३. तिब्बत और चीन के अधीन क्षेत्रों में विकास या नव-उपनिवेशीकरण?
४. चीन के वैश्विक अभियान: निगरानी और अंतरराष्ट्रीय दमन
जिनेवा फोरम को अपेक्षा है कि चीन में मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रित करने वाले संगठनों और विशेषज्ञों का एक नेटवर्क बनेगा और चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड को चुनौती देने और सुधारने के लिए समन्वित प्रयास विकसित कर लिया जाएगा। यह सीसीपी के शासन के तहत सबसे दूरदराज के हिस्सों में बिगड़ते मानवाधिकार रिकॉर्ड पर मुख्यधारा के मीडिया का ध्यान और सार्वजनिक चर्चा को मजबूत करने की भी उम्मीद करता है।