23 जुलाई, 2018
चीनी सपने और चीनी राष्ट्र के कायाकल्प की तलाश करते हुए राष्ट्रपति शी जिनपिंग पार्टी अनुशासन और समाज पर अपनी को पकड़ लगातार कड़ा करते चले जा रहे है। उन्होंने बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) लॉन्च किया है जो महादेशों के बीच व्यापार और वाणिज्य की सुविधा के लिए राजमार्ग, हवाई अड्डे, रेल और बंदरगाहों के निर्माण के माध्यम से अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच समुद्र पर कनेक्टिविटी स्थापित करने की एक परियोजना है। यह उम्मीद की जाती है कि 64 देशों में चीनी निवेश से चीन में माल, खनिज, गैस और खाद्य पदार्थों की आयद होगी और इससे चीन की घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनेगी और बाहरी मोर्चों पर इसके शक्ति प्रदर्शन को मजबूत बनाएगा।
शी के नेतृत्व में चीन ने दक्षिण चीन सागर पर न केवल शब्दों के माध्यम से बल्कि ठोस कार्रवाई के द्वारा संप्रभुता को साबित किया है। चीन वहां कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर रहा है, जिन्हें शस्त्रास्त्रों से लैस किया जा रहा है।
शी के नेतृत्व् में चीन साइबर स्पेस पर संप्रभुता स्था्पित कर रहा है। यह एक अगली आश्चर्यजनक घटना रही है। चीन से जो भी जानकारी चीन के बाहर जाती है या देश में जिसकी अनुमति दी जाती है, उन सब पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कड़ी निगरानी और नियंत्रण रहता है। अन्य सत्तावादी शासन इसका अनुकरण कर रहे हैं।
चीन संप्रभुता का एक दूसरा दावा करता है। इस बार उसका यह दावा तिब्बत की आध्यात्मिकता पर है। इस दावे को लेकर पार्टी सफल होती है या नहीं, एक अलग मामला है। लेकिन ऐसा करने का उसका दृढ़ संकल्प कई परियोजनाओं और नीतिगत मामलों में स्पष्ट हो जाता है।
2007 में पार्टी ने तिब्बती बौद्ध धर्म में जीवित बुद्ध के पुनर्जन्म कराने के प्रबंधन उपायों के लिए निर्देशक जारी किया। इसे आदेश संख्या पांच के तौर पर भी जाना जाता है। पुनर्जन्म वाले तिब्बती लामाओं को अपने पुनर्जन्म के लिए ‘अनुमोदन’ कराने के लिए पार्टी के पास ‘पुनर्जन्म आवेदन’ जमा करना होगा।
2016 में चीन ने पुनर्जन्म पाने वाले सभी तिब्बती लामाओं को एक ऑनलाइन डाटाबेस जारी किया। जो लोग डाटाबेस पर नहीं हैं वे पार्टी की नजर में ‘जीवित बुद्ध’ नहीं हैं। और दलाई लामा इस डाटाबेस पर नहीं हैं।
यहां पार्टी का आमना-सामना दलाई लामा दुविधा से है। पार्टी 15वें दलाई लामा को चाहता है लेकिन 14वें को नहीं। कुछ जो वरिष्ठ पार्टी कैडर हैं उन्हें आदेश दिया गया है कि वे खुद को ‘पुनर्जन्म’ का दावा करें। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पार्टी उन क्षेत्रों और देशों में आक्रामक रूप से अभियान चला रही है जो यूनाइटेड फ्रंट की गतिविधियों के क्षेत्र नहीं हैं। पार्टी के एक अनुषांगिक इकाई को इसके लिए ‘जादू हथियार’ माना गया है।
मंगोलिया यूनाइटेड फ्रंट की गतिविधियों का नया क्षेत्र है। चीन का यह अभियान वहां और आसान बन गया है क्योंकि मंगोलिया, केवल दो पड़ोसियों- चीन और रूस से घिरा हुआ है। मंगोलिया अपने इन दोनों विशाल भूभाग वाले दक्षिणी शक्तिशाली और करिश्माई पड़ोसियों पर अपने आर्थिक कल्याण के लिए निर्भर है। चीन मंगोलिया की इस कमजोरी का नाजायज फायदा उठाकर उसके खाल्खा जेत्सुन डाम्पा का चयन करने के लिए उसे ‘निर्देशित’ करना चाहता है। डाम्पा मंगोलिया के सर्वोच्च अवतारी लामा हैं। उनका इससे पहले का अवतारी शरीर बहुत सालों तक धर्मशाला में रह चुका है। चीन चाहता है कि मंगोलिया दलाई लामा से राय- विचार किए बगैर ही डाम्पा को अगला अवतार घोषित कर दे।
लेकिन चीन के लिए समस्या यह है कि दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक पदानुक्रम के सर्वोच्च शीर्ष पर विराजमान है। पुनर्जन्म लेकर आए लामाओं की लोगों द्वारा आध्यात्मिक वैधता और स्वीकृति तभी हो सकती है जब वे तिब्बती, मंगोलियाई या पूरे हिमालयी बेल्ट के बौद्ध क्षेत्र से आते हों।
लेकिन चीन तिब्बत के आध्यात्मिक क्षेत्र में अपना खेल खेलने की योजना पर कोई लफड़ा नहीं करता है। इसके लिए वह बीजिंग द्वारा नियुक्त पंचेन लामा को बढ़ावा दे रहा है। उनको व्यापक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए उनके लिए महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म तैयार किए जा रहे हैं। चीनी सरकार द्वारा 10वें पंचेन लामा की बेटी को भी इस उम्मीद से बढ़ावा दिया जा रहा है कि वह अपने पिता की आध्यात्मिक कमाई को कम्युनिस्ट पार्टी की पसंद के अगले दलाई लामा के चयन के लिए सौंप देंगी। बीजिंग ने युवा तिब्बती लामाओं को इस बात के लिए गोलबंद और तैयार किया है कि वे दुनिया के सामने यह दिखाने को खड़े हों कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा चयनित 15वें दलाई लामा को तिब्बती बौद्ध संघ की स्वीकृति प्राप्त है।
इन योजनाओं को बनाते हुए पार्टी को उम्मीद है कि वह एक भी गोली दागे बिना तिब्बत की सभ्यता के ताज को अपना बना सकता है और इसके साथ ही वह विश्व भर में जमी उस साख का भीअधिकारी हो जाएगा जो वर्तमान दलाई लामा ने तिब्बत और इसकी संस्कृति के लिए बनाई है।
चीन के लिए समस्या यह है कि पुनर्जन्म की अवधारणा विश्वास का विषय है और प्रशासनिक लाठी से हांककर इसे नहीं मनवाया जा सकता है। उस विश्वास को तिब्बती बौद्ध धर्म के सभी चार मुख्य शाखाओं के प्रमुखों और तिब्बत के स्थानीय धर्म ‘बान’ समुदाय के मार्गदर्शन में निर्देशित किया जाएगा। ये सभी सौभाग्य से भारत में हैं। इससे भी ऊपर बात यह है कि अगले दलाई लामा का चयन 14वें दलाई लामा के फैसले से निर्धारित होनेवाला है।
* थुब्तेन संफेल तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट के निदेशक हैं, जो सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन का शोध केंद्र है। यहां व्यक्त किए गए विचार तिब्बतन पॉलिसी इंस्टीट्यूट का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।