rfa.org/ सांगयाल कुंचोक
तिब्बत और चीन के अंदर की स्थिति की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि चीन ने चीनी शासन के प्रतिरोध का केंद्र रहे सिचुआन प्रांत की एक काउंटी के तिब्बती निवासियों पर प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं। क्षेत्र के सूत्रों ने कहा कि चीनी अधिकारियों द्वारा स्थानीय लोगों को पददलित करने के लिए २०२१ से क्षेत्र में विशाल बुद्ध प्रतिमाओं का विध्वंस शुरू किया गया था और भिक्षुओं और स्थानीय निवासियों को इसे देखने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बाद ड्रैगो काउंटी में संचार पर प्रतिबंध लगाना नवीनतम उपाय है। ड्रैगो काउंटी को चीनी में लुहुओ कहा जाता है और यह ऐतिहासिक तौर पर परंपरागत खाम तिब्ब्ती प्रांत के सिचुआन प्रांत में कार्देज़ तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर में स्थित है।
सुरक्षा कारणों से नाम न छापने का अनुरोध करते हुए सूत्रों में से एक ने कहा, ‘इस साल जनवरी की शुरुआत में ड्रैगो काउंटी में स्थानीय चीनी अधिकारियों ने क्षेत्र में रहने वाले तिब्बतियों को तिब्बत के बाहर के लोगों के साथ संचार संपर्क बंद करने की चेतावनी दी है।’ उन्होंने कहा, ‘उनके सेल फोन बेतरतीब ढंग से जांचे जाते हैं और बाहर के साथ किसी भी प्रकार की जानकारी साझा करने से मना किया जाता हैं। उन्हें देश से बाहर अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क करने या पैसे भेजने की भी अनुमति नहीं है।’
फ्री तिब्बत’ और उससे संबद्ध अनुसंधान शाखा ‘तिब्बत वॉच’ द्वारा जनवरी में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी अधिकारियों ने तिब्बतियों पर दमन तेज कर दिया है। उन्होंने ड्रैगो काउंटी में गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हुए महत्वपूर्ण धार्मिक संरचनाओं को नष्ट कर दिया है। तिब्बती बौद्ध स्थलों का विध्वंस ड्रैगो काउंटी में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख वांग डोंगशेंग के नेतृत्व में आगे बढ़ा, जिन्होंने पहले सिचुआन के विशाल लारुंग गार बौद्ध अकादमी में बौद्ध भिक्षुओं के निष्कासन और अकादमी के विध्वंस अभियान की कमान संभाली थी।
एक अन्य तिब्बती ने अपनी सुरक्षा के डर से पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया, ‘जब से वांग डोंगशेंग को ड्रैगों में काउंटी प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है, तब से तिब्बतियों के खिलाफ अभियान बद से बदतर होता गया है।’ उन्होंने आरएफए को बताया, ‘बड़े पैमाने पर संचार पाबंदियां और अन्य सुरक्षा उपाय किए गए हैं। इसके अलावा, कर्मचारियों और मठों में रहने वालों को पुन:शिक्षा कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया है।’
२००८ के बाद से ड्रैगो काउंटी के निवासियों ने चीनी सरकार के खिलाफ विरोध- प्रदर्शनों में भाग लिया है। इस कारण चीनी अधिकारियों ने यहां हस्तक्षेप किया, जिसमें २००९ और २०१२ में बड़ी दमनात्मक कार्रवाई शामिल है। बीजिंग तिब्बत में अवज्ञा के किसी भी संकेत को अलगाववाद के कृत्य के रूप में देखता है और उसे चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताता है।