tibet.net
धर्मशाला। तिब्बत के पारंपरिक खाम प्रांत के ड्रैकगो (चीनी: लुहुओ) काउंटी में चीनी अधिकारियों ने झूठा आरोप लगाते हुए कि स्कूल ने भूमि उपयोग कानून का ‘उल्लंघन’ किया है, तिब्बतियों को आदेश दिया कि एक तिब्बती बौद्ध स्कूल को ध्वस्त कर दिया जाए।
तिब्बत टाइम्स के अनुसार, ड्रैकगो के गदेन रबटेन नामग्यालिंग मठ के प्रशासन द्वारा संचालित गेदेन नांगटेन स्कूल को आधिकारिक आदेश प्राप्त होने के बाद स्वयंसेवी स्थानीय तिब्बतियों की मदद से ३१ अक्तूबर २०२१ को ध्वस्त कर दिया गया।
रिपोर्ट में स्रोत ने कहा, ‘चीनी अधिकारियों ने स्कूल प्रशासन को आदेश दिया था कि वे अगले तीन दिनों में स्वेच्छा से स्कूल को ध्वस्त कर दें अन्यथा सरकार विनाश को अंजाम देने के लिए एजेंसियों को भेजेगी।’ अधिकारियों ने आगे स्कूल के फर्नीचर और संपत्तियों को भी जब्त करने की धमकी दी।
स्कूल के विध्वंस के बाद दैनिक जीवनयापन के लिए स्कूल पर निर्भर तिब्बती बच्चे, विशेष रूप से गरीब परिवार की पृष्ठभूमि वाले बच्चे बेदखल कर दिए गए और उन्हें अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर किया गया।
एक तिब्बती स्रोत के अनुसार, स्कूल का विध्वंस बिना सिर पैर के आरोपों पर किया गया, क्योंकि स्कूल पर भूमि उपयोग कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था, जबकि यह कानून केवल स्थानीय आवासीय भवनों पर लागू होता है।
इसके अलावा अतीत में चीनी अधिकारियों ने लगभग २० छात्रों को स्कूल से यह आरोप लगाते हुए जबरदस्ती निष्कासित कर दिया गया था कि छात्र स्कूलों में जाने की उम्र के नहीं हुए हैं और इस तरह उन्हें उनके घरों में वापस भेज दिया गया।
गेदेन बौद्ध स्कूल ड्रैकगो में स्थित है, जिसे अब सिचुआन प्रांत में शामिल किया गया है। इसका निर्माण २०१४ में गदेन रबटेन नामग्याल लिंग मठ के विद्वानों और भिक्षुओं द्वारा किया गया था। बंद होने से पहले यहां लगभग १३० छात्रों को पारंपरिक और आधुनिक, जैसे कि तिब्बती, चीनी और अंग्रेजी और बौद्ध दर्शन पाठ्यक्रम सहित भाषा और व्याकरण की शिक्षाएं प्रदान की जाती थीं।
अतीत में विशेष रूप से २००८ और २०१२ में, ड्रैकगो काउंटी में तिब्बतियों द्वारा दमनकारी और अन्यायपूर्ण नीतियों और इस क्षेत्र में लागू किए गए फरमानों के खिलाफ विभिन्न शांतिपूर्ण विरोधों को देखा गया है। शांतिपूर्ण विरोधों को अक्सर क्रूर दमन और कार्रवाई के साथ निपटाया जाता था। तब से, चीनी अधिकारियों ने स्थानीय तिब्बती की रोजाना की गतिविधियों को प्राथमिकता के आधार पर निगरानी और निरीक्षण को और तेज कर दिया है।
इस तरह की घटना तिब्बती संस्कृति और भाषा को बदनाम करने के लिए चीनी सरकार के अभियान में हालिया बढोतरी को दर्शाती है, क्योंकि तिब्बती स्कूलों को निशाना बनाया जा रहा है। मनगढ़ंत आरोपों के तहत तिब्बती स्कूलों को जबरन बंद किया जाना आम बात है।
तिब्बती स्कूलों को जबरन बंद करके न केवल तिब्बती बच्चों को उनकी अपनी भाषा और संस्कृति सीखने के अधिकार से वंचित किया गया है, बल्कि उन्हें चीनी सरकारी स्कूलों में जाने के लिए मजबूर किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप सांस्कृतिक आत्मसात और भाषा का उत्पीड़न चल रहा है।