तिब्बत
पडोस में रहता ,पडोसी मेरा।
घर उसका ..किसने छिन्ना।
मजबुर कर दिया ।
दूसरे देशों में रहना।
किसने मुझे लूट लिया ।
आजादी मेरी छीन ली ।
मेरी वसुन्धरा को ।
लाल खून से …रंग लिया।
सिने में फिर भी आजाद तिब्बत
लक्ष्य मेरा।
कब तक गोली से ,दमनकारी नीतियों से ।
दामन को भेदता रहेगा , कसक दिल में ।
आजाद एक दिन ,तिब्बत देश हो जाऐगा।
दुनिया का सबसे उंजा पठार
विश्व से मांग रहा प्यार ।
फिर भी जिन्दा हूं।
स्वर्ग का आर्शीवाद है।
दलाई लामा
चन्दा मामा के पास है ।
वह ज्ञान का सागर है ।
स्वर्ग की छत
तिब्बत क्यों जल रहा …..
कौन उसकी संस्कृति तोड रहा ?
स्वतन्त्र , स्वतन्त्र , स्वतन्त्र होगा ।
विश्व जनमता का आर्शीवाद होगा ।
बौद्ध तुम आंखे खोलो
गन्धारी ने भी आंखो की पटटी खोली ।
मौन जब फूटेगा , पडोसी की सीमा
तिब्बत देश रहेगा।
-सच पाल