ABP न्यूज़, 13 जनवरी 2015
कोलकाता: तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाईलामा ने स्वयं को मार्क्सवादी बताते हुए आज कहा कि कई मार्क्सवादी नेता अब विचार से पूंजीवादी बन गए हैं.
दलाईलामा ने कहा, ‘‘जहां तक सामाजिक-आर्थिक सिद्धांत का सवाल है, मैं अभी भी मार्क्सवादी हूं.’’ उन्होंने कहा कि वह मार्क्सवाद को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि वह अमीरों और गरीबों के बीच अंतर को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है.
उन्होंने प्रेसीडेंसी यूनीवर्सिटी में विश्व शांति पर एक व्याख्यान में कहा, ‘‘कई मार्क्सवादी नेता अब विचार से पूंजीवादी हैं. यह उनकी प्रेरणा, सोच, व्यापक परिप्रेक्ष्य पर निर्भर करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूंजीवादी देशों में अमीरों और गरीबों के बीच अंतर बढ़ रहा है. मार्क्सवाद में समान वितरण पर जोर दिया जाता है. यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है.’’
दलाईलामा ने महिलाओं और निचली जातियों के साथ भेदभाव को भारत में शांति को बाधित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया लेकिन कहा, ‘‘भारत में मुस्लिम पाकिस्तान में शियाओं से अधिक सुरक्षित तरह से रह रहे हैं.’’ 14वें दलाईलामा ने 30 वर्ष से कम आयु के लोगों से अपील की कि वे 21वीं सदी को ‘शांति की सदी’ बनायें.
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