कुशीनगर। हर शुरुआत का अंत होता है। यह संसार का साश्वत सत्य है। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण से इस सत्य का साक्षात्कार भी होता है। इसकी याद में १६ अक्तूबर २०२३ को भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ), भारत-तिब्बत संवाद मंच (बीटीएसएम) और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर स्थित बुद्ध डिग्री पीजी कॉलेज द्वारा संयुक्त रूप से कॉलेज के सभागार में ‘तिब्बत जागरुकता कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक श्री रजनीकांत मणि त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता श्री राकेश जयसवाल, कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़-इंडिया (सीजीटीसी-आई) के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री सुरेंद्र कुमार, नामग्याल तिब्बती मठ, कुशीनगर के प्रभारी भिक्षु तेनक्योंग, भारत-तिब्बत संवाद मंच (बीटीएसएम) के डॉ. शुभ लाभ, कॉलेज के संकाय सदस्य और छात्र उपस्थित थे। उपस्थित लोगों में भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) के समन्वयक थुप्टेन रिनज़िन, आईटीसीओ के उप समन्वयक और प्रमुख स्थानीय हस्तियां शामिल थीं। महाविद्यालय के डॉ. निगम मौर्य ने कार्यक्रम का परिचय दिया तथा कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने विद्यार्थियों से कार्यक्रम का सार्थक उपयोग करने का आह्वान किया। श्री सुरेंद्र कुमार ने प्राचीन काल से भारत-तिब्बत संबंधों, चीन द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जे और सीमा सुरक्षा के संदर्भ में भारत के लिए इसके निहितार्थ के बारे में बात की। सुरेंद्र कुमार ने याद दिलाया कि कैसे भारत गैरकानूनी चीनी कब्जे से पहले तिब्बत के साथ प्राकृतिक और खुली सीमा से जुड़ा हुआ था और इस बात पर जोर दिया कि क्यों भारत को तिब्बत के उचित कारण के लिए खड़े होने की जरूरत है।
श्री राकेश जयसवाल ने अपने संक्षिप्त संबोधन में तिब्बती मुद्दे के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और भविष्य में अपने पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। आईटीसीओ समन्वयक थुप्टेन रिनज़िन ने कॉलेज में तिब्बत जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने के कारण के बारे में बताते हुए कहा कि युवा भारतीयों को भारत और तिब्बत के बीच प्राचीन संबंधों के साथ-साथ तिब्बत के अंदर की वर्तमान स्थिति और तिब्बती मुक्ति साधना का समर्थन करने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करना है।
थुप्टेन ने आगे -भारत और तिब्बत के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक करुणा, स्वतंत्र तिब्बत के बारे में तथ्य, तिब्बत पर गैरकानूनी कब्ज़ा, परम पावन १४वें दलाई लामा जी और हजारों तिब्बती लोगों का निर्वासन में पलायन, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) का संचालन, तिब्बत के अंदर की वर्तमान स्थिति और तिब्बत भारत के लिए क्यों मायने रखता है?–जैसे विषयों पर एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया।
पूर्व विधायक श्री रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने भारत के तिब्बत के साथ चलने वाले भाषाई और आध्यात्मिक संबंधों के बारे में बात की। उन्होंने भारतीय युवाओं से तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने और एकजुटता दिखाने का आह्वान किया। श्री रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा, ‘एक दिन तिब्बती लोगों के पास वह दिन होगा जब वे तिब्बत वापस जा सकेंगे और तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों के साथ फिर से मिल सकेंगे। तिब्बत एक दिन अपनी स्वतंत्रता पुनः प्राप्त करेगा और यह केवल समय की बात है।‘आईटीसीओ की पहल पर कॉलेज में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में ३० से अधिक छात्रों ने भाग लिया और शीर्ष पांच चयनित निबंधों को पुरस्कार वितरित किए गए और सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार वितरित किए गए। इस कार्यक्रम में ३०० से अधिक छात्रों सहित कुछ मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया। समापन अवसर पर तेनज़िन जॉर्डन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
कार्यक्रम में धर्मशाला से तिब्बत संग्रहालय को भी आमंत्रित किया गया था और उन्होंने परिसर में ‘भारत-तिब्बत संबंध’ शीर्षक से एक फोटो प्रदर्शनी लगाई, जिसमें छात्रों और संकायों की भीड़ उमड़ पड़ी। समारोह में भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय, नई दिल्ली ने तिब्बत से संबंधित पुस्तकें और ब्रोशर भी वितरित किए।